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✍️सास और बहू की कहानी😔

Ranjana sharma 18 Apr 2024 कहानियाँ समाजिक # Ghar Ghar ki Kahani# # Motivated Story# Sad Story# 828 0 Hindi :: हिंदी

सासू मां जमाना बदल गई पर आप ना बदली लोग कहां से कहां पहुंच गए लेकिन आपकी सोच बस घर के चार दीवारें में बंद और मुंह से आह तक ना निकले ऐसी बहू चाहिए ऐसी ही चाह बस आपकी रह गई आखिर आप मुझसे चाहती क्या हो ऐसा ही अगर था तो आपको वैसी लड़की लानी चाहिए थी जो गूंगी हो कुछ बोल और सुन ना सकती हो मुझसे तो गलत ना देखा जा सकता है और ना गलत सुना जा सकता है .......रमा इतना बोलते हुए अपने कमरे में गुस्से से चली जाती।
रमा की सास .... कुछ बोलती उससे पहले दरवाजा पर खटखटाने की आवाज आने लगती तभी उसका छोटा बेटा(सोहन) दरवाजा खोलता तो अपने सामने दादी को पाता ,उसका बेटा अपनी दादी को देख बहुत खुश होता ,उसके आने से घर पर सभी लोग खुश होते हैं पर उसकी मां अपना मुंह बनाने लगती क्योंकि वह उसकी बहू रमा को उससे ज्यादा पसंद करती थी जो उसे एक आंख ना भाता था।
         रमा को जब मालूम हुआ कि उसकी दादी सास घर पर आई है ,तो वह खुशी खुशी उसका स्वागत करती और उसके मनपसंद खाना भी बनाती।रमा और उसकी दादी सास में खूब जमती थी इसलिए रमा की सास अपनी बहू से ईर्ष्या करती थी और उसे हमेशा जली कटी सुनाती रहती थी।
         एक दिन उसकी बहू रमा ऑफिस के कुछ काम से  बाहर जा रही थी कि उसकी सास उससे कहती.....अभी इस वक़्त तुम बाहर जाओगी तो खाना कब बनोगी और हम सब खाएगें कब? रमा धीमी आवाज में बोलती मम्मी जी मैंने सब बना दिया है, मैं जल्दी आ जाऊंगी और सबको खाना भी खिला दूंगी तब उसकी सास उससे कहती और बाकी काम कब होगा ,तुम्हारा बाहर जाना जरूरी है क्या ? एक दिन नहीं जाओगी तो क्या आसमां टूट जाएगी।
        रमा अपनी सास को हर तरफ से समझाती है कि ....देखिए मम्मी जी ! मेरा आज बाहर जाना बहुत जरूरी है कल उसे मुझे ऑफिस में प्रेजेंट करना है नहीं करने पर मेरे बॉस का बहुत लॉस हो जाएगी और वहां जुड़े सभी लोगों का भी,इसलिए प्लीज ..आज मुझे जाने दीजिए ।
        पर उसकी सास मान नहीं रही थी तभी उसकी दादी सास को यह बात पता चलती तब वह आकर अपनी बहू को समझाती ।तब रमा की सास मुंह बनाकर बोलती है कि ... मां जी मुझे तो आपने कभी इतनी आजादी नहीं दी मैं कुछ करना भी चाहती थी तो आपने हमेशा रोक - टोक की ,घर के काम काज के अलावा मुझे किसी ने कुछ करने की आज्ञा नहीं दी ,मुझे वो दिन आज भी याद है मां जी .....जब
मैं इनके साथ फिल्म देखने के लिए जा रही थी तब आपने घर में कितना हंगामा मचा दिया था और ए तो आपकी बात
काट नहीं सकते थें इसलिए चुपचाप घर से बाहर चले गए उस दिन मेरे सारे सपने अधूरे ही रह गए।
    तब रमा की दादी सास बोलती ... अरे! वो ज़माना अलग था ,आज जमाना कुछ और है, तो हमें जमाने के अनुसार ढलना चाहिए ,तब वह कहती .. मां जी ,जमाना आज भी वही है, बस लोगों की सोच बदलने की देरी है कुछ लोगों की सोच आज भी वैसी है वो सोचते हैं कि बहुएं घर के चार दिवारी में कैद होकर रहे ,जिस दौर से मैं गुजरी हूं वो मैं ही जानती हूं।
    तब उसकी दादी सास अपनी बहू को समझाती है.... अरे बहू, तुम क्या चाहती हो ,तुम्हारी बहू के साथ भी वही हो ,जो तुम्हारे साथ हुआ ,तुमने अभी कहा ना ... लोगों की सोच बदलने की देरी है तो फिर तुम अपनी सोच क्यों नहीं बदल रही हो ,तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारी बहू को उस स्तिथि का सामना नहीं करना पड़ रहा है तुम तो उल्टा उसके कामों में बाधा बन रही हो।
    तब रमा की सास बोलती .... मां जी, माना कि मेरा समय अब लौट कर नहीं आ सकता लेकिन आप अभी भी मुझे बात बात पर मेरी बहू या बाहर वाले के सामने मेरी इंसल्ट करती हैं जबकि मेरी गलती भी नहीं रहती इससे तो मेरी बहू मेरा ही अपमान करेगी मुझसे आज तक आपने सीधी मुंह बात नहीं की और रमा बहू के साथ आप अपना ताल मेल कितना अच्छा बनाकर रखती हो ।क्यों ? आपको आज तक मैं पसंद नहीं आई ऐसी भी क्या गलती मेरी थी ।
    तब रमा की दादी सास कहती ,अरे! ... बहू तुझसे कोई गलती नहीं हुई थी वो तो मेरी ही सोच पुराने ख्यालों की थी ।ए तो तेरी बहू के कारण ही मेरी सोच में परिवर्तन आया है पर मुझे नहीं मालूम था कि तेरे दिल में अभी भी वही सब पुरानी बातें भरी पड़ी है और तू अपनी बहू को भी वैसे ही पीड़ित कर रही है , वो तो तेरी बहू अच्छी है जो इस ज़माने में भी तेरा इतना मान रख रही है नहीं तो बाहर देख कितनों की बहुएं अपनी सास के खिलाफ जाकर अपनी ही एक दुनियां में जी रही है।
     तभी रमा अपनी सास से कहती मम्मी जी ... मुझे मालूम नहीं था कि आपके साथ इतना कुछ हुआ है आप जो सहे हैं उसे में ठीक तो नहीं कर सकती ,पर हां ... इतना जरूर कह सकती हूं कि आज के बाद आपको उन सबका सामना नहीं करना पड़ेगा ।मुझे तो आज पता चला आप क्यों  मेरे साथ ऐसे पेश आते थें।
     तभी रमा की सास कहती ... नहीं बहू मुझे माफ़ करना मैं बेवजह तुम पर बरस पड़ती थी मेरी भी गलती है मुझे समझना चाहिए था कि जो मेरे साथ हुआ और किसी के साथ ना हो I'm sorry. तभी रमा की दादी सास भी अपनी बहू से क्षमा मांगते हुए कहती मुझे भी माफ कर देना बहू ,आज के बाद तुम दोनों मेरी बेटी हो ,इस तरह सास - बहू के समझदारी से बिखरते रिश्ते में सुधार आ जाती।
                                       धन्यवाद🙏

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