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21वीं सदीं में परतन्त्रता की आनोखी दासतान

Amrita pandey 30 Mar 2023 आलेख समाजिक सामाजिक सत्य 16285 0 Hindi :: हिंदी

नमस्कार आज आपसे एक ऐसे विषय पर अपने विचारों को साझा करने जा रही हूं जो समाज का एक महान चरित्रार्थ बन चुका है यह सभी जानते हैं की इस समय जो घटना घटित हुई है यानी तालिबान का अफगानिस्तान पर हमला कर उसे अपने अधीन कर लेना उस पर अपना सम्राज्य चलाना ।  यह एक ऐसी घटना है जो ना जाने कितने ही स्वतंत्र देशों के लिए एक सबक बन चुका है विश्व के अनेक छोटे देश बड़े देशों से अच्छे संबंध बनाने में जुटे हैं क्योंकि कोई नहीं चाहेगा कि वह गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा जाए सभी लोकतंत्रात्मक गणराज्य  चाहते हैं परंतु अफगानिस्तान पर जिस दास्तान का बिगुल बज रहा है ।क्या वह सोचने योग्य नहीं है आज चाहे मानवाधिकार परिषद हो या विश्व की बड़ी शक्तियां सभी इस विषय पर मौन धारण किए हुए हैं और विराम की अवस्था में है अमेरिका जो विश्व की अनेक बड़ी शक्तियों में सबसे अग्रिम हैं आज उसने भी अफगानिस्तान को दरकिनार कर दिया यह सोचने योग्य है कि कोई भी बड़ी शक्ति तब तक साथ दे सकती हैं जब तक उसे भरपूर लाभ प्राप्त हो जरा सी हानि पर बड़े बड़े फैसले लेने वाली शक्तियां तुरंत दरकिनार होकर छोटे देशों को आगे में झुलसने के लिए छोड़ जाती हैं और इतना ही नहीं समझौते के नाम पर तो ऐसे समझौते होते हैं जैसे आग में घी डालना आग को बुझाने का काम प्रत्येक साम्राज्य को खुद ही करना पड़ेगा प्रत्येक अफगानी यही चाहता है कि वह कहीं दूसरे देश में शरण लेकर स्वयं बच जाए परंतु उन्हें यह सोचना चाहिए कि वह यदि एकजुट हो जाएं तो वे पुनः अपनी मिट्टी को पा सकते हैं देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी का भाग जाना यह तो बेहद शर्मनाक बात है परंतु हमें अपनी कमजोरी को नहीं ताकत को पहचानना है ताकत यानी वे शक्तियां जो आज भी अफगानिस्तान के अंदर संघर्ष कर रही हैं अपनी मिट्टी को बचाने के लिए असंख्य मासूमों को  बचाने के लिए जो इतने निर्धन है कि शरण लेने योग्य भी नहीं है विश्व के किसी भी सुरक्षा परिषद काम इस विषय पर ध्यान नहीं गया की अनेक ऐसे शक्तियां जो देश अफगानिस्तान को बचाने में जुटी थी वह असफल रही  उनमें से एक हैं अफगानिस्तान की प्रथम महिला गवर्नर सलीमा मजारी जो 600 सैनिकों के साथ तालिबान आतंकियों का सामना कर रही थी उसकी ताकत इतनी कमजोर नहीं थी उसकी शक्ति इतनी कमजोर नहीं थी की उसे तुरंत बंधक बना लिया गया बल्कि उसको बंधक बनाने की मुख्य वजह तो यह है कि किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया उन्हें बंधक बनाया गया अखबारों में फोटो छपी टीवी चैनलों में दिखाया गया लेकिन उस पर पुष्प वर्षा करने वाला यानि उनकी मदद करने वाला कोई आगे नहीं आया तालिबान द्वारा कब्जा करते ही अफगानिस्तान में अफगानी महिलाओं पर विशेष कानून बनने शुरू हो गए जिसका कई जगह विरोध प्रदर्शन हुआ परंतु एक उच्चतम महिला शक्ति जो बंधक है उसके बचाव के लिए बाहरी  शक्तियों द्वारा कोई विशेष प्रतिउत्तर नहीं मिला यहां तक कि भारत द्वारा भी इस मुद्दे पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया आज अफगानिस्तान विश्व की सदियों पुरानी दास्तान में पुनः परिपूर्ण हो गया क्या पता कि उसका स्वतंत्रता के लिए यह संघर्ष कब तक चलेगा और कब पुनः अफगानिस्तान स्वतंत्र गणराज्य बनेगा कब अपनी संस्कृति व सभ्यता को पुनः स्थापित करेगा पता नहीं कि कब प्रकृति करवटें बदलेगी विश्व की एक घोर अंधकारमय  रात्रि को स्वतंत्रता रूपी सवेरे में बदलकर वहां के नागरिकों को एक सुखमय स्वतंत्र जीवन देगी इसका कुछ पता नहीं ।
                                     धन्यवाद

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