संदीप कुमार सिंह 07 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 12797 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:_दोहा छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" अपने मन की बात से,जीतें यह संसार। गौरव बन कर देश का,सबको दें अधिकार।। अपने मन की बात को,नहीं करें नाराज। कुछ पल के आराम से,मस्त रहे नव आज। अपने मन की बात पर,हमसब करें विचार। मूर्त रूप तब तो करें,मिले तभी अधिकार।। अपने मन की बात पे,रखें सभी अधिकार। आहत करिए मत कभी,सबसे रखिए प्यार।। अपने मन की बात को,कहिए सबसे यार। औरों का भी हम सुनें, नहीं करें तकरार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....