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एक सेठ-सेठ कभी भी अपनी धन सम्पती पर घमण्ड न किया

Kranti Raj 24 Jun 2023 कहानियाँ समाजिक 6664 0 Hindi :: हिंदी

एक शहर मे सेठ रहता था ! सेठ कभी भी अपनी धन सम्पती पर घमण्ड न किया ! वह एक समाजिक विकास करने के लिए हमेशा तत्पर रहता था !किसी के भी के दुख दर्द में हमेशा खडा उतरता यानि कि सहायता हमेशा करता ,जिस कारण समाज में सेठ को हमेशा सम्मान मिलता ! एक आवाज मे सभी लोग सेठ के कामो हाथ बटता ,कुछ समय मे सेठ के कोई काम कुछ समय ही हो जाता ! सेठ का शादी एक उच्चे खानदान की लडकी से हो गया !शादी के कुछ समय बितने के बाद सेठायान सेठ जी पर हुकुम चलाने लगी !प्रतिदिन कलह की बारिश बात बात में हो जाती !सेठ अब चिंतीत रहने लगा !चाह कर भी समाजिक काम न कर पा रहा था !धिरे धिरे सहायता करने मे भी बंचीत रहने लगा ! समाज भी उसके पहले किये कर्म को भुलते जा रहे थे ! लोग कहना शुरू कर दिये कि जब से सेठ को शादी हुआ,सेठ बदल गया !लेकिन आखिर क्यो ?
लेकिन बिते हुए कल को कोई नही देखता वर्तमान मे किया है ,ऐ सब कोई देखता !  अब सेठ अकेले रहने की मन ही मन फैसला किया क्योकि सच्चाई अब कोई नही पुछता और ना बताना   सेठ चाहता था ! कुछ समय बितने के बाद सेठ जी को एक बच्चा और दो बच्ची हुआ ! अब सेठ अपने बच्चे को साथ खुश रहने शुरू किया !लेकिन सेठायान के रोज के बर्ताव से  सेठ खुश चाह कर भी खुश रह न पाता !सेठ मन ही मन में सोचा कि ऐही मेरा किस्मत में लिखा हुआ था,यही मेरा पुर्व जन्म की कमाई है !जब कोई भी मनुष्य हार जाता है तब किस्मत का कोसता है ,सच्चाई यही है ! सेठ के दो बहने और एक भाई भी था !लेकिन भाई शादी लव मैरेज ही कर लिया था ! भाई भभु के बर्ताव भी एक दुश्मन से कम न था ,कहा जाय तो कही और ज्यादा था ! इसी के कारण सेठ को दिन प्रतिदिन संघर्ष बढता ही जा रहा था ! कुछ दिन के बाद दोनो बहने का शादि कर दिया !खुशी खुशी अपनी घर रह रही थी ! कुछ समय के बाद सेठ के माँ और छोटी बहना का स्वर्गवास हो गया ,अब सेठ और बेसहारा हो गया !क्योंकि माँ ,बहने सेठ जी को सुख दुख में सहयोग करती थी ! सेठ के पापा भी छोटे भाई के साथ रहने लगे !  लेकिन सेठ के भाई -भभु को और मोका मिल गया ,सेठ को और परेशान करने लगा ,मन में तो बईमानी की चरम सीमा बढने लगा !  छोटा भाई घर से निकालने के धमकी देने लगा और साथ ही पिता भी सहयोग करने लगा ! सेठ को कुछ समझ में न आ रहा था ! इस सिल सिला दिन प्रतिदिन बढता ही जा रहा था !  कर्ज का बोझ भी और सेठ जी पर डाल दिया !
बेचारा क्या करता ,किससे कहता ,अब हर आदमी का मुँह खुल रहा था ! सेठ जी को इंसानियत पर से भरोसा उठ गया था ! सेठ जी का रोजी रोजगार भी मंद हो गया था ! लेकिन धिरे धिरे कर्ज भी भरता तो बच्चे के मुँह पर ताला लग जाता ! सेठायान बात बात पर  खनदान तक को अशब्द शब्द का बारिश करता !सेठ भीतर से टुट गया था,लेकिन बेचारा बेसहारा हो गया था ! जिंदगी की दोड में रोडा ही रोडा था ! लेकिन कुछ दिन के बाद छोटा भाई पिता को भी घर से निकाल दिया ,जब उसका मतलव निकल गया !पिता को भी समझा कर घर पर सेठ जी ले आये ! लेकिन घर की प्रताडना कम न थी ! सेठ जी सोचने लगे कि पहले तो हम सुनते थे ,परिवार के चलाने के लिए दिल को समझा लेते थे !
अब इस बात से पापा क्या रह पायेगें या सह पायेगें मन में ऐही सोच रहा थे !कि सेठायण बोल पडी  ,पापा को बृद्धा आश्रम छोड दिजिए नही तो सेवा सत्कार आप ही किजिए हम से न होगा ! सेंठ जी को बहुत दिल में चोट लगा और दिल टुट  गया ! सेठं जी मन ही मन प्रण किया कि अब घर और परिवार छोड कर कहीं दुर देश चले जाऊगा  ! सेठजी अपने पिता जी को आश्रम  छोड आये और कोर्ट  चले गए !कोर्ट में सारी सम्पती अपने बेटा और बेटी के नाम के नाम करने के लिए कागज बना लिए और  साथ ही साथ तलाकनामा तैयार करा लिए ! शाम को घर लौटे उदास अपने कमरे चले ,कुछ देर के बाद अपने सभी परिवार को बोलाया और सारी कागजात के बारे बताया और दिखाया ! सभी कागजात देखने के बाद पुरे परिवार में उदासी छा गई,मानो संकट के पहाड टुट पडा हो !सभी रोने लगा और सेठ जी खमोश बैठे कुछ सोच रहे थे !रोने की आवाज सुनकर सभी परोस के लोग सेठ जी के घर पहुँचे ! सभी पुछने लगे कि क्या हुआ सेठ जी ! सेठ जी खमोश बैठे कुछ बोल न रहे थे ! सेठायान रोते रोते ही बोली कि हमसे क्या गलती हुई कि तलाकनामा लेकर आये है ! हमने इनका क्या बिगडा है जो हमसे दुर जाना चाहते है !इन्हीं से पुछीए क्यो ऐसा कर रहे है ,? अब सेठ जी को रहा न गया और रोने लगे !इसी के चलते अपने पिता जी को तीन दिन पहले ही घर से बृद्धा आश्रम  छोड आये है ,मेरे पापा कैसे हम तीन दिनो नही खाया है ,ऐही सोचते रहते है कि मेरे पिता अच्छे थे या बुरे सोच थी ऐ मै नही जानता बल्कि सच्च तो ऐ है कि मेरे पिता है और पिता ही रहेगे ऐही जिंदगी का कडवा सच्च है !जब मै हर बाते भुल कर  जब पापा को घर लाये सेवा कपने के लिए तो सभी को सहयोग करना चाहिए था लेकिन सेठायान पापा को घर से निकलने को कही क्या ऐ कर्तव्य है ,ऐ सब मेरा सहयोग है ! परिवार के मतलव ही सुख दुख में एक दुसरे को सहायता करना !तब सोच समझकर मन में फैसला लिया ! आस परोस के लोग ऐ बाते सुनकर खमोश हो गये !सब ने सेठ को और परिवार को भी समझाया तब सेठायान और बच्चे सेठ जी के पापा को सेवा करने की कसम खाई ,सेठ भी परिवार और आस परोस के बात मानकर पिता को खुशी खुशी घर लाने के लिए बृद्धा आश्रम पहुँचे !  गेटमैन से सारी बाते गेटमान मालिक को फोन पर सारी बाते बताया मलिक खुशी से झुम उठा और कहा कि मै भी आ रहा हुँ ,वैसे खुशनशीब पिता को देखने के लिए आश्रम मालिक भी पहुँचे स्वागत करते हुए सेठ जी के पिता को नम आँखो से विदा किया ,लेकिन आश्रम के और सारे बडे बुजुर्ग आशा भरी आँखो से देख रहे थे कि काश मेरा भी परिवार ले जाता !सेठ अपने पिता के साथ साथ परिवार को एकसुत्र में बंधने की कसम पुरी किये और खुशी खुशी रहने लगे !
(वर्तमान में आज ऐही स्थित है ,जब जागो तब सबेरा )बडे -बुजुर्ग को सेवा करना न भुले क्योकि हर माँ पिता बहुत ही आशा अपने बच्चे को पालते पोसते है कि मेरे बुढापा  में हमें सेवा करेगे और खुशी खुशी इस दुनिया से विदाई मिले !
सधन्यवाद
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कवि -क्रान्तिराज बिहारी
दिनांक -27-06-2023
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