Trilok Chand Jain 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य परोपकार/paropkar/great work 15551 0 Hindi :: हिंदी
कीमत उन हाथों की है जो गिरते हुए को पकड़कर उठा ले दोषी को भी हाथ बढ़ाकर गले लगा ले अनमोल हैं वे हाथ जो पौंछ देते हैं आंसू किसी के पीठ थपथपाते, उत्साह बढ़ाते, प्रेरणा सरीखे पवित्र हैं वे हाथ जो प्रभु प्रार्थना में जुड़ जाते हैं माला फेरते स्मरण में थोड़े मुड़ जाते हैं आदर्श हैं वे हाथ जो अंजान से जुड़ सात जन्म का रिश्ता बनाते सांस टूटने तक इस बने रिश्ते को निभाते श्रेष्ठ हैं वे हाथ जो दान देकर बेसहारों का सहारा बनते अनेकों के मिलकर एकता का नारा बनते मिटे इनसे अंधेरा किसी की रातों का बढ़ता ही जाए मूल्य इन हाथों का
Working Editor of Swadhyay Shiksha Magazine. Jainism teacher. Running Ph.D in Jain Jeevan Paddhat...