Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #माँ 103331 0 Hindi :: हिंदी
माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! प्यार को तेरे जान न पाया ! खोकर तुझको फिर पछताया !! सांसो की देकर डोर ! लिया न हमसे कोई मोल !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! बिस्तर तेरा गिला घाला ! नींदो का भी न दिया हवाला !! मुँह का देकर अपने निवाला ! माँ ने हमको ऐसे पाला !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! हम थे मोती माँ थी धागा ! एक सूत्र में हमको बांधा !! लड़ते झगड़ते फिर से मिलते ! रिस्तो की माँ पक्की डोर !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! चाहे ले लो स्वर्ग का वैभव ! चाहे ले लो जग का राज !! माँ हैं बिल्कुल बैकुण्ठ जैसी ! नहीं मिलेगी ऐसी गोद !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! उंगली पकड़कर चलना सिखाया ! सर पर रही तेरे आँचल की छांया !! उंगली तेरी छोड़ न पाया ! तू ही सिरा है, तू ही छोर !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! प्यार में सबके स्वार्थ का मिश्रण ! कैसे करू मैं उसका चित्रण !! अपना-अपना सबका मोल ! हर चेहरे पर नया है खोल !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! जितने चाहे प्याऊ लगाओ ! भंडारे तुम करते जाओ !! जितने चाहे तीर्थ कर लो ! माँ में है तीनो लोक !! माँ की ममता है अनमोल ! इसका न है कोंई मोल !! विपिन बंसल