Uma mittal 30 Mar 2023 कहानियाँ धार्मिक श्री सत्यनारायण भगवान 23186 0 Hindi :: हिंदी
शोभा का आज श्री सत्यनारायण भगवान का पूर्णिमा का व्रत था | शोभा अपने बच्चों के साथ बाजार जा कर ,भगवान जी के लिए तरह- तरह के फल ,पंजीरी का सामान ,आटा, शक्कर, मेवा सभी सामान इकट्ठा कर घर आई |उसका छोटा बच्चा बार-बार फल मांग रहा था | अपने बच्चे को वह समझा रही थी” बेटे ,पूजा के बाद पहले भगवान जी को भोग लगाएंगे ,तब हम सभी उस प्रसाद को खाएंगे”| बच्चा मान गया और उछलता कूदता मां की उंगली पकड़े घर के पास आ गया |शोभा अपने घर में अकेले ही होती थी | उसका पति अपने व्यवसाय के कारण अपनी दुकान में सवेरे जाकर शाम को आता था |शोभा हमेशा शाम को पूजा करती थी |घर के पास आते ही उसे प्यास लगने लगी | गर्मी का मौसम था | तभी एक पड़ोसन ने पूछा “आज दोपहर में बाजार कैसे”? शोभा अपनी पड़ोसन से बात करने लगी |जाने कब ,उसके हाथ से बच्चे ने चाबी ले ली | जब शोभा का ध्यान गया ,तब तक चाबी गुम हो चुकी थी | शोभा हताश होकर बैठ गई | अब गेट कैसे खुलेगा | वह सोचने लगी “हे प्रभु !सिर्फ मैं ही आपको मिलती हूं ,तंग करने के लिए ,अब मैं क्या करूं ?आप ही बताइए “|तभी एक तरफ से चाबी बनाने वाला आ गया और पूछा ” क्या चाबी बनवानी है ? शोभा ने सोचा ,शायद गली में चाबी बनाने वाला कुदरती आया है|” हां मेरा गेट खोल दो, कितने पैसे लोगे “|चाबी वाले ने कहा “जो मर्जी दे देना”| तब शोभा गुस्से में बोली ” क्या 2₹ दे दूं तो क्या 2 ₹ ले लोगे”| चाबी वाला हंसकर बोला ” बिल्कुल ” और ताले को तुरंत खोल दिया | शोभा ने कहा ” मैं इतनी भी गिरी हुई नहीं हूं कि किसी का हक मार लूं “और खुले 20 लेने अंदर गई | उस पड़ोसन ने कहा ” मैं भी अलमारी ठीक करा लूं | कहां है ताला वाला ?” शोभा अभी तो सिर्फ समान रखने बरामदे में ही आई थी, पर ताला चाबी वाले का कहीं पता नहीं था | पड़ोसन कहने लगी “अपनी गली तो काफी लंबी है ,ताला वाला दिखाई क्यों नहीं दिया? भला कौन होगा “| शोभा को ऐसा लग रहा था कि जैसे भगवान ने खुद उसका गेट खोल दिया हो | आखिर ताले वाले ने पैसे क्यों नहीं लिए ? शोभा कमरे के अंदर आकर सोच रही थी “क्या! मैंने प्रभु को नहीं पहचाना और क्या मैं प्रभु पर चिल्लाती रही “| उसकी आंखों में मोटे मोटे आंसू थे | उमा मित्तल | राजपुरा (पंजाब)