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Pagal Sunderpuria 30 Mar 2023 कहानियाँ बाल-साहित्य कहानी, कहनियां, बाल कहानियां, मज़ेदार कहानी, नई कहानी कछुआ खरगोश, बाल साहित्य, 10086 0 Hindi :: हिंदी

एक स्कूल की एक ही क्लास में पढ़ने वाले काफ़ी बच्चे थे । उनमें दो दोस्त थे, उनमें से एक था बलविंदर (बल्ली) जो पढ़ाई में बहुत होशियार था हर साल क्लास की रैंकिंग में पहिले स्थान पर आता था जिसे सारी क्लास बल्ली मॉनिटर कहती थी और दूसरा बच्चा था लविंदर (लवी) जो पढ़ने में ठीक ठाक लेकिन शरारती बहुत था जिसकी वजह से सारी क्लास उसे लल्लू कहती थी। क्लास के बाकी बच्चे पढ़ाई में अच्छे थे। हर दिन जब कोई अध्यापक पढ़ाई करवाता तो सब बच्चे ध्यान से पढ़ते लेकिन लल्लू  क्लास में बोलता व शरारतें करता रहता था। जिसकी वजह से लल्लू की क्लास में पिटाई होती थी और क्लास उसका मज़ाक उड़ाती थी। लल्लू को बहुत बुरा लगता, और इस वजह लल्लू सभी बच्चों से दूर रहने लगा उसे लगने लगा कि मैं लविंदर लवी नहीं वास्तव में लल्लू हूं। एक दिन लल्लू स्कूल की आधी छुट्टी में खेलने नहीं गया तो बल्ली ने देखा कि लवी कहां गया, बल्ली ने लवी को ढूंढा तो वह क्लास में चुपचाप बैठा था, बल्ली ने कहा लवी आ चल खेलते हैं तो लल्लू ने कहा मेरे साथ कोई नहीं खेलता तेरे साथ बाकी खेलते हैं तुं खेल, और हां मैं आज से तेरे लिए लवी नहीं लल्लू हूं! बल्ली ने कहा क्यूं? लल्लू ने कहा तुझे क्लास में तालियां मिलती है और मुझे डांटें.. बल्ली ने कहा पता क्यूं क्यूंकि तूं सबसे अलग है इसलिए तेरी मेरी दोस्ती है। चल अब खेलते है दोनों क्लास में खेलने लग गए, दोनों खुश थे। फिर ऐसे ही हर दिन क्लास में दोनों खेलते।  कुछ दिनों बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने प्रार्थना में कहा कि हर दिन प्रार्थना के बाद मंच पर हर एक क्लास एक एक बच्चा क्लास की रैंक वाइज माइक पर आकर कोई कविता यां कहानी सुनाएगा। अगले दिन इनकी क्लास से बल्ली गया और उसने कछुए और खरोश की कहानी सुनाई। कहानी की शिक्षा थी, " धीरे धीरे चलते रहने मंज़िल मिल जाती है" (जीत जाते हो) खूब तालियां बजीं, रोज ऐसे ही चलता रहा। आधी छुट्टी को बल्ली ने लल्लू से कहा तुम भी यहीं कहानी सुनाना। लल्लू ने कहा ठीक! लल्लू ने पूरी कहानी तैयार की और अगले दिन आधी छुट्टी को उसने बल्ली को सुनाई... बल्ली लोट पोट हो गया.. लल्लू कहा हसा क्यूं? बल्ली ने इस कहानी का कहानी कार तूं है इसलिए.. दोनों हसने लगे.. पंद्रह दिन बाद प्रार्थना में आज लल्लू को बोलना था अचानक वहां पर न्यूज पेपर वाले स्कूल पहुंच गए। प्रार्थना के बाद लल्लू ने कहानी सुनानी शुरू की तो प्रिंसिपल, अध्यापक व बच्चे लल्लू की तरफ आंखे फाड़ फाड़ कर देखने लगे, जैसे ही कहानी खत्म हुई तो अखबार वाले पत्रकार ने ताली बजाई, फिर बल्ली प्रिंसिपल, अध्यापक व बच्चों ने भी खूब तालियां बजाई। लल्लू मुस्कराता हुआ मंच से नीचे उतरा। अगले दिन वह कहानी उस अखबार व कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। लेखक का नाम था लविंदर लवी..! 
वो कहानी क्या थी पढ़तें है नीचे👇
एक बार एक खरगोश व कछुआ दोनों एक ही जंगल में रहते थे दोनों में एक दिन बहस हो गई की श्रेष्ठ कौन है। दोनों की शरत लग गई खरगोश अपनी दौड़ के कारण अहंकार में था कि मैं बहुत तेज भाग लेता हूं । खरगोश ने कछुए से कहा कहां तक भागना है बता, कछुआ बहुत ही सहज स्वभाव को मालिक था उसने अपने दिमाग़ लगाकर खरगोश से कहा जंगल से बाहर निकलते ही जो खेत हैं वहां तक जो पहले जाएगा वो श्रेष्ठ होगा, खरगोश ने कहा ठीक, (खरगोश ने मन ही मन सोचा गाजर भी खाएंगे) दोनों की रेस शुरू हुई खरगोश दौड़ा..कछुआ भी चलने लगा..खरगोश को गाजर व श्रेष्ठ बनने की लालसा ने बहुत भगाया लेकिन आगे एक नदी आ गई, खरगोश कभी इधर भागे कभी उधर.. नदी पर कोई पुल ने मिला तब तक कछुआ वहां पर पहुंचा और धीरे से नदी में उतरा और अपनी मंजिल पर पहुंच कर अपनी शर्त जीत गया और खरगोश से श्रेष्ठ बन गया।
शिक्षा - अहंकार को छोड़ शांति से अपने दिमाग़ द्वारा ज़िन्दगी में आगे बढ़ना चाहिए। आप अपने अपने क्षेत्र में सब श्रेष्ठ हैं।
✍️पागल सुन्दरपुरीया

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