GAJENDRA KUMAR MEENA 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक धन - दौलत 19416 0 Hindi :: हिंदी
अच्छे अच्छे को ख्वाब दिखा देती है , धन-दौलत भी क्या है | पता नही भगवान ने ऐसा क्या बनाया है , आज धन-दौलत की दुनिया है , अच्छे – अच्छे को चक्कर आ जाते है | आज धन-दौलत की दुनिया कितनी दौडती है , पता नही चलता कब जिन्दगी चली जाती है | भाग दौड़ की जिन्दगी में कौन – क्या है , यह पता नही चलता कौन करोडपति या लखपति | मै या फिर कोई और , यह तो आने वाला समय ही बताएगा | इन्सान ने क्या पाया है उसे तो पता ही नही है , उठते ही धन – दौलत की चिंता , किसका – कितना है या नही | अगर यह नही करता हु, तो दुनिया पीछे छोड़ जाती है | धन – दौलत ही हमारा सबकुछ है , यह तय कर देती है समाज और देश | बंगला और मर्चडिस ही हमारा सबकुछ है , यह तय कर देती है छोटा और बड़ा | यह कह पाना मुस्किल है कौन क्या करता है , यहाँ तो सब अपने – अपने , रूपये – पैसे में व्यस्त है | यहाँ सब कुछ धन है भैया , बिना धन कुछ नही है भैया | हाय बाप किसकी सुने या नही , बिना धन – दौलत जिन्दगी है या नही |
I am son of former ,writer , online working teaching and politician. I know many languages like - 1...