संदीप कुमार सिंह 12 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4729 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) आयु गुलजार हो सदा, दुख से मत हो भेंट। जीवन के हर मोड़ पर, बना रहूं हम सेंट। खुशबू मय अपना जहां, अपनो का हो साथ_ हस्ते हस्ते पथ कटे,मस्ती का हम बेंट। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....