गीत-कवि प्रकाश -प्रीतम
नफरतो के अंधेरे में, प्रेम से उजाला है। प्रेम भाव भक्ती है, प्रेम ही निवाला है। प्रेम थ सेबरी का, राम का पथ जोहती रही। प्रेम में मगन मीरा,श्याम जी को ढूंढती रही। प्रेम जो बसा मन में, हृदय ही शिवाला है नफरतो के अंधेरे में, प्रेम से उजाला है। प्रेम जो है कीचड़ से,कमल …