Ranjana sharma 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Google 66235 0 Hindi :: हिंदी
हर शाम तेरे इंतजार में चौखट पे बैठ तेरी राह तकती कब आओगे यही सोचकर मेरी आंख भर जाती काश! ओ दिन भी आए कहीं किसी रोज हम मिल जाएं विरहा की ऎ चुभन अब सही मुझसे नहीं जाती दिल की तड़प अब बयां मुझसे नहीं की जाती हुक -सी उठती है दिल में एक -ही पुकार बार -बार काश !ओ दिन भी आए कहीं किसी रोज हम मिल जाएं मांझा की डोर से पतंग लग कर जिस प्रकार आकाश को चूमती काश!ओ दिन भी आए मैं भी तेरी बाहों में लगकर कहीं किसी रोज झूम -सी जाती ।। धन्यवाद