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चलो पथ गामी बने

Sudha Chaudhary 17 May 2023 कविताएँ समाजिक 6730 0 Hindi :: हिंदी

आज संकुचन को मिटाकर
चलो पथ गामी बने।
है धरा निस्तेज
अलौकिक रूप के स्वामी बने।
हदय पर यह बोझ कितना,
था ही उसका साथ कितना,
मन की इस विचलित सतह से
दूर हो बागी बने।
कष्ट तो होगा ही क्षण भर,
फिर भी जीना सीख लेगा,
अंतिम समय वह मौन होगा,
कुछ नहीं तो दीन होगा,
हो अंधेरे दूर ऐसे
उजालों के स्वामी बने।
हौसला है आज जितना,
कल न शायद हो उतना
अपनी दृढ़ इच्छा लिए
भीरू से पौरुष बनें।



सुधा चौधरी

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