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कविता (किस हद तक मैं तुमसे प्यार करू )

Sunil suthar 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत किस हद तक मैं तुमसे प्यार करू, प्यार कि कोई हद नहीं, उम्र भर का प्यार, सात जन्मों का प्यार, 11060 0 Hindi :: हिंदी

कविता (किस हद तक मैं तुमसे प्यार करू )

केश मेरे जटा में बदले,

प्राण मेरे प्रयाण हुए,

निर्मोही बनो न अनीति करो,

मेरी आँखो में तेरे रूप का छाया रहता हैं,

मैं अगाध विरह में पड़ी हुई, कैसे योग समाधि मन भाये,

यौवनशाला बनी मधुशाला किस सुधबुध की बात करू,

किस हद तक मैं तुमसे प्यार करू!!



मलीन औऱ कमजोर तन हुआ, कैसे वस्त्र सँभालू श्रृंगार करू,

रो रो-कर मेरे आँसू सूखे, कैसे घर में दुगुने दुःख झेलू,

उलझती,सुलझती,रूठती, समझती और स्वयं को समझाने लगती,

सुन्दर रूप नूर से मुखरित, मेघ-सी घटाटोप लगती हैं,

फिर प्रकृति की भरमार हुईं, बिन श्रृंगार के भी हूर लगती हैं,

क्षणिक नयन के सुख के खातिर, नहीं मैं किसी का ऐतबार करू,

बता......किस हद तक मैं तुमसे प्यार करू,



छाया था जो गम का साया, वो छाया सर से हटा दिया,

दर्द भरे होठो को मैंने, हसाकर चहरे को खिला दिया,

झूकी आँखे औऱ हल्की मुस्कान, तेज धड़कनो पे न था जोर,

यह अदा तुम्हारी या हसीन शाम का मंजर,

देखना था मुझे ढकी जुल्फों के उस ओर,

भौतिकता से परे प्रियतम, मैं भावनाएं कागज पर उकेर गया,

याद में तेरे बेचैन हूँ हर वक़्त मैं, खुद को ही खो दिया हूँ मैं,

अपनी ही तलाश में,

अब आरजू हैं शिकवे को भूला दो, आ जाओ जिंदगी में फिर....

और मैं क्या फरयाद करू, किस हद तक मैं तुमसे प्यार करू!!

                                                                                              सुनील सुथार

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