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जीवन की उलझने?

Bhuwan chandra Joshi 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य जीवन का संपूर्ण सार कुछ पंक्तियों में 10513 0 Hindi :: हिंदी

कि खोया बचपन वो अपना हमें याद है, 
इन गली रास्तो कि हि तो बात है|
कर लिए आज तक हमने जितने कर्म, 
फल के मिलने का हमको भी अहसास है|

की जिंदगी कि वो इक राह दूँ मैं बात
इस उम्र में किसी को न होता पता|
रास्तों मे ठोकरे खाके चलना पड़ा, 
कांटे थे बहुत, इनसे संभलना पड़ा|
हैं कई रास्ते जो बताते हमें, रास्ते में वो हमको पथिक मिल गए! 

कि ख़्वाब देखे थे हमने जहा के गजब, 
आस लेकर थे बैठे मिलेंगे वो सब
देखी किस्मत तो ख़्वाब बदलना पड़ा, 
चाहतो की वो जंजीर माँ की ममता गजब, 
प्यार मिलता था फिर भी डरना पड़ा|

ख़्वाब बचपन के जब जवानी से मिले, 
कि जिंदगी की अलग ही कहानी कहे! 
रिस्ते-पिस्ते यूहीं हम खड़े रह गये, 
बात अपनी उसी पर अड़े रह गये
दिल ही दिल में ये सब सहना पड़ा , 
याद सब था मगर चुप ही रहना पड़ा|

कि इस जवानी से अब तक जो उभरे न थे, 
उन करामात से अपनी सुधरे न थे! 
राह देने लगे लोग फिर से बहुत, 
चाहते थे सभी पर चुन ना सके!! 

                                     धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻!                 

भुवन चंद्र जोशी 🥰🥰

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