Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

बीते दिन गुलामी के !

Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम Poetry, Hindi, New, #Deshprem 20454 0 Hindi :: हिंदी

खो जाती हूँ मैं कभी-कभी 
गुज़रे दिनों के ख्यालो में ...
क्या होता अगर जी रहे होते हम 
आज भी अंग्रेजो के ज़माने में ...
चाबुक खाते, धूल फ़ाख्ते  
घर भरते उनके अपने कमाए दानो से....
बेचैन करती देशप्रेम की वो आवाजें 
जो आती थी जेल की दीवारों से...
जब मार लात गुलामी को  
निहत्थे भी हम कूद पड़े थे, जंग के मैदानों में...
जला कर लो दिलो में आज़ादी की 
क्या खूब किया तिरंगे के दीवानो ने... 
बढ़ता जाता पद हमारा 
देखो जाकर आज जमाने में ...
खो जाती हूँ मैं कभी-कभी गुज़रे दिनों के ख्यालो में...
क्या होता अगर जी रहे होते हम 
आज भी अंग्रेजो के ज़माने में | | 

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: