Poonam Mishra 21 May 2023 ग़ज़ल समाजिक 6519 0 Hindi :: हिंदी
कुछ इस तरह से जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है मैंने ! शुक्र है !उम्र के इस मोड़ पर कुछ गम छुपा? लिया मैंने ! तेरे शहर से दूर हुए तो कुछ मायूस हुए हम ! पर जो तुम्हें चाहा किसी और को चाहने की आस ना कि ! तुम्हारी बेवफाई का दुख नहीं है मुझे !मेरा दिल ही काफी है मुझे तड़पाने के लिए थे ?जिंदगी में काम मुझे और भी बहुत! मैंने अपने दिल के आवाज की कभी परवाह न की ! र्लेखिका पूनम मिश्रा