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बेवफा

Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #बेवफा 37095 0 Hindi :: हिंदी

तकदीर ही जब बेवफा हो जाए
आदमी जाए तो कहाँ जाए
जी रहे हो बस आज की खातिर
किसे क्या पता कल क्या हो जाए 
तकदीर ही जब बेवफा हो जाए

ये सांसे शूलों सी चुंबन 
ये जीवन एक अंधा सफर
इस पार से उस पार का सफर 
न जाने कैसा ये किसे खबर
इस पार से उस पार 
शायद जाना हो आसान 
गर ये दर्द वहाँ भी सताए 
इस पार से उस पार
उस पार से कहाँ जाए
तकदीर ही जब बेवफा हो जाए

सुकून की चाह में एक उम्र गुजारी
गम ने ऐसी कुंडली मारी 
खुशबु उड़ गई जीवन की सारी
सूखे फूल सूखी फुलवारी
जिस्म ही जब रोग बन जाए
यौवन का सूरज जब ढल जाए
ढहती दीवार के सायें में
उम्मीद के दीपक क्या जलाए
तकदीर ही जब बेवफा हो जाए
 
          विपिन बंसल

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