Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य poetry, hindi, news, update, match, shayri, sad, love, new 87257 0 Hindi :: हिंदी
लोग कहते है मैं कभी नहीं लड़ती, कितना गलत कहते हैं | हाँ मैं भी लड़ती हूँ, हर रोज़ लड़ती हूँ, खुद से खुद के लिए लड़ती हूँ अपने उन बेतुके विचारो से जो बाधा है मेरे हर फैसले की लड़ती हूँ अपने भीतर के उस भाव से जो क्षण भर में ही अभाव का रूप धारण कर लेता है उस छवि से जो मैं बनाना चाहतीं हूँ अपनी, खुद की नज़रो मे, इसलिए मैं भी लड़ती हूँ | मैं उठना चाहती हूँ ऊपर बहुत ऊपर, पर न जाने कौन हर बार मेरी बाधा बन जाया करता है, शत्रु तो मेरा कोई नहीं, पर स्वयं के ये भाव किसी शत्रु से तो कम नहीं मैं लड़ती हूँ इस शत्रु से, बहुत लड़ती हूँ, जंग तो ये आसान न होगी मेरी पर मुझे लड़ते रहना होगा क्योंकि, इस ग़ुमनामी में खोना तो मुझे नहीं है, खो गयी तो शायद कभी बाहर न आ पाऊ, इसलिये मैं लड़ती हूँ, हर रोज लड़ती हूँ लिखित में तो मैं ये ना कहूँगी के मैं ही जीतूँगी, हाँ मगर ये सच है मैं हार नहीं मानूँगी, मैं हर रोज़ यूँ ही लड़ती रहूंगी, ख़ुद से ख़ुद के लिये | |
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