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विश्वास और भरोसा

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh kavita #Vishvash per kavita #Ambedkarnagar Poetry #bharose per kavita 65769 0 Hindi :: हिंदी

कविता -विश्वास और भरोसा 

पहाड़ों के बीच टेढ़ी मेढ़ी रस्ते पर
बस चल रही थी
जीवन की रेखा सी रस्ते पर ऊपर 
नीचे चढ़ रही थी 
सीधे रस्ते पर चलना तो राहत भरी 
भरी सी लगती है 
किन्तु उतार चढ़ाव भरी जिंदगी खुद को
जीवन कहती है
देवी दर्शन को सीढ़ी सी रस्ते पर सभी यात्री
चढ़ रहे थें
मगर कुछ को लगता कि बस अब वे नीचे 
उतर रहे थें
चढ़ते जितने ऊपर नीचे उतनी ही गहरी
खाईं थी
झांकता जो बस से बाहर लगता कि अब
मौत आयी थी
कोई दुपका कोई लटका कोई देता
दुहाई था
बस में चारो ओर  पसरा सन्नाटा मचा
हाय हाई था
एक नन्ही परी सी चालक की बच्ची
डर भय से दूर थी
ना कोई चिंता ना डर ना भय ना शोक
ना ही मजबूर थी
उसे विश्वास था भरोसा था अपने
पिता पर
कौन पिता गिरने देगा अपने औलाद को
चिता पर,



रचनाकार -रामवृक्ष,अम्बेडकरनगर। 









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