Sudha Chaudhary 08 Jul 2023 कविताएँ अन्य 8092 0 Hindi :: हिंदी
मन किसका कहता है जीवन यूं संगम हो जाये। प्रीत पुराने खो जाएं और मन दर्पण हो जाए। मेरी थी पहली विवशता की कहानी दूसरी तुमने सुनाई अपनी जुबानी। हाथ खाली ताल थे जिसमें समूचा राग था जानकर भी उस धवलता से बड़ा अंजान था। किंतु और परंतु में अभिव्यक्ति का सागर मिला अब पुरानी सोच से बदला हुआ आकर मिला। कंठ के उत्पाद से मैं पी गया वह भावना दृष्टिबाधित ही रहे कर न सके आलोचना । सुधा चौधरी बस्ती