दो वक्त की रोटी – राहुल रेड
झेला जिसने सूखा सावन झेला आँधी और तूफ़ान पानी से सस्ता श्रम जिसका वो कहलाता है किसान वस चले उसका तो तूफानों की राह मुड़ा देता अपने खून पसीने से धरती की प्यास बुझा देता उम्र गुजर जाती है जिनकी खेतों में पहन लंगोटी आज उनको हो गयी मुश्किल दो वक्त की रोटी। जिसकी मेहनत …