शायरी-रोहित कुमार
“चंद खुशियों की फ़रमाइश थी मेरी , तुम तो वो भी न दे पाया , यूँ ही मैं सपने क्यों देखूँ पूरी जिंदगी साथ बिताने की , चंद घंटे तो तुम मेरे साथ ख़ुशी से बिता न पाये…”। रोहित कुमार
“चंद खुशियों की फ़रमाइश थी मेरी , तुम तो वो भी न दे पाया , यूँ ही मैं सपने क्यों देखूँ पूरी जिंदगी साथ बिताने की , चंद घंटे तो तुम मेरे साथ ख़ुशी से बिता न पाये…”। रोहित कुमार
“आईना देखकर समझ जाओ अपनी सच्चाई को तुम , आईना बोलता है तुम सुनो तो , हर बात तुम्हें ये बतलाएगी , आईना मित्र है सच्चा तुम्हारा झूठ नहीं ये बोलेगा , हर एक तुम्हारे सच्चाई को तुम्हारे सामने ही ये खोलेगा , ना ही फ़िक्र है इसे तुम्हारे रूठने का , , और ना …
“कितना अच्छा था न…” “कितना अच्छा था न वो दिन भी , जब तुम्हे चाहना , और तुम्ही से छुपाना , जो क्लासरूम में हमेशा सबसे पहले आना , और तेरे सीट के पिछली वाली सीट पर बैठना । कितना अच्छा था न तेरा क्लासरूम में घंटो इन्तेजार करना , और तेरे आने पर दिल …
“कुछ 7-8 महीने पहले जब मैं गया से अपने गांव जाने के लिए गया बस स्टैंड गया तब वहाँ का नजारा काफी दिलचस्प था । वहाँ लोगो का इतना भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था जैसे थिएटर के आगे लोग मूवी ख़त्म होने का इंतेजार कर रहें होते हैं जो कि वहाँ के बस स्टैंड …
आज मैं जिस विषय की चर्चा करने जा रहा हूँ वो बहुत ही सामान्य है जो समान्यतः हर किसी के जीवन में घटती है , वो इसलिए की हर कोई सफर सफर करते हैं । चाहे वो बस , ट्रेन , या अपनी निजी वाहन से करें । सबके लिए सामान्य बात ये होती है …
“मैं जिस विषय की चर्चा करने जा रहा हूँ , वो बहुत ही साधारण है और बहुत ही आसान और कठिन भी , मेरा चर्चा का विषय है वक्त जिसे साधारण भाषा में समय कहते हैं । जो किसी के वश में नहीं है और हम इंसान को भी वक्त के वश में नहीं होना …
“हम किस समाज की ओर अग्रसर हो रहें आज ये एक बहुत ही कठीन सवाल है जो हमारे जैसे हर एक युवा के लिए चिंताजनक स्थिति उतपन्न करने वाली है , हमारा सामाजिक परिवेश किस आधार पर बदल रहा है और हम युवा जिस समाज की कामना कर रहे हैं शायद वो समाज की कल्पना …
“अकेलापन, सुनने में बहुत ही साधारण शब्द पर शायद समझने में उतना ही कठिन , जो एक निश्चित उम्र के बाद एक खोखला शब्द है जो अधिकाशतः हर किसी के जुवान पर होता है , हमें अक्सर अपने मित्रों से ये शब्द सुनने को मिलता है और शायद ये खोखला शब्द आज हमारे समाज के …
“मानसिकता , जो एक अहम क़िरदार निभाती है हमारे जीवन में । पर क्या हमारी मानसिकता कभी – कभी हमें धोखा देती है , क्या हमारी मानसिकता कभी – कभी हमारे लिए ही परेशानी का सबब बन जाती है ऐसे बहुत सारे प्रश्न है जो आज मेरे मन में अक्सर उठते हैं , और ये …
श्मशान घाट “मैं जिस विषय की चर्चा करने जा रहा हूँ वो है श्मशान घाट जो कि एक सच्चाई है , हर एक इंसान के लिए । और इसका कुछ हद तक आभास हो जाता है जब हम किसी और के मृत्यु होने पर श्मशान घाट जाते है उस इंसान के अंतिम यात्रा को पूरी …
“सिपाही शब्द से आज सभी लोग वाक़िफ़ होते हैं , जिसे हमारे समाज की बुराइयों को ख़त्म करने के लिए रखा जाता है , और हमारे देश की सीमा पर से हमारे देश की रक्षा करना । पर वो ऐसा क्यों करते हैं , इसके पीछे छुपा हुआ रहस्य क्या हैं ? मुझे लगता है …
“फ़र्क़ पड़ता है मुझे तेरे रुठ जाने से , तेरा मुझे देखकर न मुस्कुराने से , फ़र्क़ पड़ता है तेरा मुझझे बात न करने से , मेरा तेरे तरफ़ देखना और तेरा नजरअंदाज करने वाले रवैये से …”। रोहित कुमार गया, बिहार