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पापा

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य पापा 49765 0 Hindi :: हिंदी

पापा स्वनमी ओश के बुन्द जैसे 
चिल मीलाती धूप मे छाव जैसे 
पापा हर मंजील के सफर जैसे 
मेरे पापा मेरे लिए भगवान जैसे 

गीरता मैं था चोट उनहे लगती थी 
जब भी मैं पिछे छूटता तो हाथ थाम लेते 
खुद हार के मुझे ज़िताते 
रात रात भर जाग के मुझे सुलाते 
मैं कैसे भूल जाऊ मुझे खिलाने के  
बो सारे दिन बिन खाये रह जाते 
मेरे पापा मेरे लिए भगवान जैसे 

मेरे बो सब कर जाते 
गाव गली भाई  से लड जाते 
कभी बैट तो कभी बौल बन जाते 
मुझे बडा मजा आता 
जब कंधे पे बैठा मेला घुमाते 
मेरे लिए रोटीयां कमाते 
मेरे पापा मेरे लिए भगवान जैसे
कभी न हारते कभी न थकते 
बस मेरे लिए अपना जीवन खर्चते 
मेरे पापा हर दुख हर जख्म सहते  
कोई नही मेरे पापा जैसा  
मुझे याद है पापा पर आप भूल गये 
मैं खो गया था पर आपने ढूनढ़ लिया था 
आपने आज तक न हाथ छोडा 
कही फिर न खोजाऊ 
पर पापा एक बात बताउ 
मुझ मे आप रहते हो 
हमेशा साथ रहते हो 
मैं कैसे भूल सकता हु 
ऊंगली पकड चलना  सिखाया 
पहला नीबला आपने खिलाया 
पापा आप मेरा प्रान हो मेरा अभीमान हो 
मेरा सम्मान हो पापा आप ही मेरे भगवान हो

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