Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

गाँव भूले नहीं है

Bholenath sharma 27 Jan 2024 कविताएँ समाजिक गाँव भूले नहीं है। 4830 0 Hindi :: हिंदी

भले ही बस गये है रोटी के लिए शहर,
गांव क्या है ये हम भूले नहीं है। 
बंद कोठरी में हम बेमन रहते यहाँ ,            
घर का खुला आँगन हम भूले नहीं है। 
 गर्मीयों में दुपहरी बिताते थे जहाँ,                 
उस पीपल के छाँव को हम भूले नहीं है।       
 ले जाते थे गायों को चराने जहाँ ,            
उस बगिये को हम भूले नहीं है।                    
कुछ मजबूरियों के कारण रह रहे है वहाँ ,      
 मगर गाँवो कों हम भूले नहीं है ..

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: