Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

ठोकरें होंगे राहों में- गिरना उठाना तू चलना मंज़िल को

मोती लाल साहु 15 Feb 2024 शायरी अन्य भवसागर- bhavsagar- कश्ती- kayak- देह- corpus- बसे- live- हृदय- heart- अंदर- within खेवनहार- helmsman- साहिल- rivage- अंदर की शांति ही मंजिल- inner peace is the destination- शायरी- poetry मोती- Moti 8295 0 Hindi :: हिंदी

ये ठोकरें होंगे- 
राहों में मंज़िल को,
 
ये गिरना उठाना-
तू चलना मंज़िल को, 

कश्ती जान- 
ए-देह-भवसागर को बंधु रे

तन बसे- 
खेवनहार साहिल को बंधु रे।।
-मोती

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

मेरे नजर के सामने तुम्हारे जैसे बहुत है यहीं एक तू ही हो , मोहब्बत करने के लिए यह जरूरी तो नहीं read more >>
मीठी-मीठी यादों को दिल मैं बसा लेना जब आऐ हमारी याद रोना मत हँस कर हमें अपने सपनों मैं बुला लेना read more >>
Join Us: