शशिकांत सिंह 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #Social #motivational #people #समाज 15459 0 Hindi :: हिंदी
आज का समाज, भाग तीन = दुनिया लेखक= शशिकांत सिंह दुनिया में सिर्फ दो तरह के लोग रहते हैं एक जो दुनिया में खुद के लिए जीने आया है दूसरा, दूसरे के लिए, किन्तु आज के समाज में इतनी भावनाहीनता आ चुकी है कि जो लोग खुद के लिए जीते हैं उनकी हर तरह से खासियत निकाली जाति है, लोग तारीफ करते हैं, किन्तु जो व्यक्ति समाज के लिए जीता है कुछ अच्छा करने का प्रयास करता है उसकी कमिया निकाली जाती है, मै यह नही कह रहा की सामाजिक व्यक्ती तारीफ का मोहताज होता है और न ही मै यह खुद के व्यक्ती विशेष के लिए लिख रहा मैने तो आज तक कुछ नहीं किया समाज के लिए लेकिन समाज को दूर से देखा जरुर है, और यह जाना है की वह व्यक्ति जो कुछ अच्छा करना चाहता है उसकी गलती निकाल कर उसके बुराई के संदेश प्रसारित किए जाने हैं और जो सिर्फ खुद के लिए जीते हैं उनको बोला जाता है यह बहुत अच्छा आदमी किसी से मतलब नही रखता, मै यह नही समझ पाया आज तक की जो इस दुनिया में किसी भी मकसद से नहीं आया क्या उसको जीने का कोई हक है क्या लोग सिर्फ खाने और जाने के लिए दुनिया में आते है तो फिर वो लोग सिर्फ अपने मुहल्ले तक ही क्यों सीमित रह जाते हैं क्यों नही उनको देश विदेश में कोई नही जान पता खुद से मतलब रखने वालो से पूरी दुनिया भरी है जैसे टीवी और फ्रिज को पैक करने के लिए थर्मा कोल सेट किया जाता है जो बाद में किसी काम का नही होता वैसे ही दुनिया में मकसद हीन व्यक्ति सिर्फ भीड़ का हिस्सा हैं जिनका ना आने का कोई मकसद होता है न जाने का वह सिर्फ एक फिक्स मॉडल हैं जो सिर्फ एक्स्ट्रा हैं, और मकसद लेकर आए लोगो को सब पढ़ते हैं जानते है और वह अपना काम पूरा करके जाते हैं, उन को भगवान एक उद्देश्य पूरा करने के लिए धरती पर भेजता है और पूरा करके वह चले जाते हैं , आज का समाज थोड़ा बदल सा गया है जो पुण्य आत्माओं ने किया है उसको भूल जा गया है और खाने और जाने में व्यस्त है और अपना कचरा दोनो द्वार से सामाज में लगातार फैला रहा है जिसका ना जीने का कोई मकसद ना मरने का सिर्फ खाने और जाने के लिए और कमी निकालने के लिए पैदा हुऐ है, मै किसी को कुछ कहने के लिए कोई हक नही रखता ना मेरी कोई क्षमता है , पर यह कहना कोई गलत नही की दुनिया में मनुष्य रूप में भगवान ने भेजा है तो कुछ अच्छा करके जरुर जाना चहिए जिससे सामाज में कुछ अच्छा बदलाव आ सके.... और खुद को आत्मसंतोष मिले ..... शशिकांत सिंह