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परछाइयां - न शौक, न श्रृंगार ,न इच्छा न चाह हो,

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #ambedkarnagarpoetry#rbpoetry#perchhaiyankavita#perchhaiyankavitabyrambriksh#premsambandhikavita#dostikikavita#nayikavitayen#nayikavitahindime#aajkinayikavitayen#saralkavita 38556 0 Hindi :: हिंदी

न शौक, न श्रृंगार ,न इच्छा न चाह हो,
न दु:ख हो न दर्द हो,कठिन भले ही राह हो,
तेरे बिना रहना कैसा?भाये भला तनहाइयां?
बनकर सदा चलता रहूं ,अमिट तेरी परछाइयां |
         
          कहता कौन? होता जुदा ,छाये में छोड़ता साथ है,
         फिर कहां से वह आ जाता, जब होता प्रकाश है,
         मौन हो ,बेशक चले ,बन शुभ्र चांद की छांइयां |
         बनकर सदा चलता रहूं, अमिट तेरी परछाइयां ||

फर्क कोई पड़ता नहीं ,जब तेज हवा या धूप हो,
थक जाये दुनिया भले,थकता नहीं दो टूक वो,
क्या छोड़ देता साथ वह?,जब आती है कठिनाइयां |
बनकर सदा चलता रहूं, अमिट तेरी परछाइयां ||                                                                 

        अंश है वह आप का  ,अपना भले न रूप हो,
        मिट सकता नही वह सत्य सा,बाकी भले सब झूठ हो,
        सीख लो इससे जरा, हमसफ़र की कहानियां |
        बनकर सदा चलता रहूं, अमिट तेरी परछाइयां ||

होता है उसमें आलिंगन,पर होता नही मुस्कान है,
गहरी मोहब्बत प्यार से ,हम कितने अनजान हैं,
हर बात से वह बेखबर, समझता नहीं रुसवाईयां |
बनकर सदा चलता रहूं अमिट तेरी परछाइयां ||

         Rambriksh, Ambedkar Nagar
        


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