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प्रेरणा की सफलता का कनेक्शन-उसका मन खुश हो गया उस कविता के भाव बहुत अच्छे‌ लगे

Chanchal chauhan 02 Aug 2023 कहानियाँ अन्य प्रेरणा की लेखनी भाव से सफलता 16719 2 5 Hindi :: हिंदी

प्रेरणा एक सीधी-सादी लड़की होती हैं।पढ़ने में बहुत होशियार होती हैं। प्रेरणा के परिवार में उसके मम्मी पापा उसका एक भाई दो बहन थी।काफी खूशहाल परिवार था। प्रेरणा की रुचि बचपन से ही कविता में थी ।उसे‌ कविता पढ़ने का बहुत शौक था। प्रेरणा इंटर क्लास में थी।एक दिन उनके घर पर उसकी दी मार्केट से समोसे लाई।वे समोसे न्यूजपेपर में लिपटे हुए थे।सबने समोसे खा लिये वह न्यूजपेपर उड़कर बेड के नीचे चला गया।सुबह हुई प्रेरणा रुम में झाड़ू लगाने लगी उसने जैसे ही बेड के नीचे झाड़ू लगाई।वह न्यूजपेपर झाड़ू के साथ बाहर आ गया। प्रेरणा ने उसको उठाया कचरे के डिब्बे में डालने वाली थी ,पता नहीं उसके मन में क्या आया उसने उस न्युजपेपर को खोलके‌ देखने लगी।उस न्युजपेपर पेपर की भूजी बनी हुई थी ।उसने देखा तो उसमें कविता लिखी हुई थी।उसे वैसे ही शौक था कविता पढ़ने का उसने वह कविता पढ़ी उसे वह कविता बहुत अच्छी लगी ।उसका मन खुश हो गया।उसे उस कविता के भाव बहुत अच्छे‌ लगे ।वह कविता थी ............

मेंहनत जीवन का सार,
सब कष्टों का उपहार,
बिना बीज बोए,
क्या पौधा उगा पाया हैं,
हाथ पर हाथ धरने से ,
क्या प्रगति कर पाया हैं विज्ञान।

उसपर उस पर बहुत असर हुआ वह भी कुछ बनना चाहती थी कुछ करना चाहती थी।वह कविता पढ़कर उसका मन किया वह भी कविता लिखे पर उसने कभी कविता लिखी नहीं थी ,उसके लिए ये सब आसान नहीं था।
वो उस कविता को बार बार पढ़ रही थी।उसका अर्थ भी समझ‌‌ रही थी ।वह कविता एक लड़के लव ने लिखी थी ।उसकी आधी फोटो उसमें दिख रही थी वह ठीक से पहचाने‌ में नहीं आ रहा था ।वट आधे फेश में भी स्मार्ट लग रहा था। प्रेरणा को उसकी कविता वह लड़का दोनों बहुत पसंद आये।रात हो गई सब सो गये प्रेरणा को‌ नींद नहीं आ रही थी ।उसकी बड़ी दीदी उसके साथ रुम में  सोती थी।जब उसकी दीदी सो गई तो प्रेरणा ने वह न्यूजपेपर निकाला जो उसने अपनी बुक में रख लिया था।वह उसे निकालकर पढ़ने लगी।और लव के आधे फेश वाली फोटो को भी साथ देख रही थी।वह उस कविता को पढ़ते पढ़ते सो गई सुबह हो गई वह कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गई।उसकी फ्रेड खुशी उसके घर पर आई वह दोनों कॉलेज चली गई। वह कॉलेज पहुंच गई,पहला पिरीयड शुरू हो गया ,जो टीचर  क्लास में पढ़ा रही थी प्रेरणा का उस पर ध्यान नहीं था वह कोई खोई थी दो‌ तीन पिरीयड निकल गईं वह चुपचाप ही रही ।खुशी उसको‌ देख रही थी। इंटरवल हो गया।खुशी ने प्रेरणा से पूछा तुझे क्या हुआ हैं,आज इतनी चुपचाप क्यों हैं पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दे रही हैं। प्रेरणा ने कहा कल मैंने एक कविता पढ़ी मुझे बहुत अच्छी लगी बार बार मेरे दिमाग में घूम रही है ये मन में ख्याल आ रहा हैं कविता कैसै लिखी जाती है काश मुझे भी कविता लिखनी आती ।मेरा मन हैं मैं और कविता पढ़ूं ।खुशी कहती हैं," तून्हे कविता कहा पढ़ी है ।"। प्रेरणा ने कहा, "कल दीदी न्यूज पेपर में समोसे रखकर लाई थी उसमें ही वो कविता थी जिसने वो कविता लिखी उस लड़के का नाम लव था।"मुझे उस लड़के की कविता पढ़ने का मन हैं ।"खुशी कहती है, "कौन से न्यूजपेपर पेपर में कविता छपी थी।"प्रेरणा कहती हैं, " हिन्दूस्तान न्यूजपेपर में।"खुशी कहती हैं, " ये तो हमारे घर पर आता हैं मैं तुझे लाकर दे दिया करुगी जब उसमें कविता छपा करेगी तू पढ़ लिया कर।"प्रेरणा कहती हैं,"थैंक्स।"प्रेरणा कहती हैं, " यार तू मेरी फ्रेंड हैं थैंक्स की कोई जरूरत नहीं है।छ: दिन बाद खुशी के घर पर न्यूजपेपर आता हैं उस न्युजपेपर पेपर में उस लव की कविता छपी होती है खुशी खुशी हो जाती हैं ।वह खुशी के साथ सवेरे ही प्रेरणा के घर चली जाती है और वह न्यूजपेपर प्रेरणा को दिखाती हैं प्रेरणा उस कविता को पढ़ती हैं वह कविता बहुत सुंदर होती हैं भाव से ओतप्रोत होती हैं।  कविता का शीर्षक होता है सुन्दर प्रकृति।

प्यारी कितनी निराली सुन्दर हैं प्रकृति,
फूलों से भरा दामन हैं धरा का ,
हरियाली वातावरण की,
झिलमिला रहे हैं सागर,
सागर की किरणें से,
चमक रहे हैं झरने,
चांद की चांदनी से,
टपक रही हैं ओंस,
पत्ता पर बन रही हैं सीप सी मोती,
कलिया खिल रही महक रही प्रकृति।

प्रेरणा को लव की कविता बहुत अच्छी लगती हैं। प्रेरणा का मन बहुत खुश हो जाता हैं।उस उसके कविता के भाव बहुत सुंदर लगते हैं। कविता के भावों में ही वह लव को देखने लगती हैं।वह उसका चेहरा अमेजिन करने लगती हैं।उसके चेहरे पर मुस्कान होती हैं। खुशी कहती हैं, "अरे यार तू इतना क्यों मुस्कुरा रही हैं कहीं कविता के साथ तुम्हें ये लड़का भी पसंद आ गया हैं क्या?"खुशी प्रेरणा से मजाक करती हैं कहीं कुछ हो तो‌ नहीं गया।इसके पिक्चर नहीं आई इसमें मैं भी देख लेती।प्रेरणा कुछ नहीं बोलती मुस्कुराकर नीचे को सर कर लेती हैं। खुशी कहती हैं, " समझ गई अब मैं चलती हूं "।वह अपने घर चली जाती हैं। प्रेरणा की खुशी का ठिकाना ‌नहीं होता प्रेरणा उस दिन कॉलेज भी नहीं जाती वह उस कविता को पढ़ती रहती हैं।रात हो‌ जाती सोने के टाइम वह उस न्युजपेपर को अपने ऊपर रखकर सो जाती हैं।उसे रात में सपना दिखाई देता हैं उस सपने न्यूजपेपर उसके घर आता हैं उसमें लव की कविता छपी हुई होती हैं वह उसकी कविता को पढ़ती है बहुत खुश होती हैं।

ये सागर की लहरें ,
कोई गीत सुनाये,
ये फूल सुन्दर,
प्यार करना सिखाये,
हरे भरे पेड़ पौधे,
मन को हर्षित कर जाये।

प्रेरणा नींद में ही वो कविता गुनगुनाने लगती हैं।उसकी दीदी की आंख खुल जाती हैं।और वे प्रेरणा को उठा देती हैं। प्रेरणा का सपना पुट जाता हैं । 
सुबह होते ही प्रेरणा एक डायरी पैन लेकर उनके आंगन में  एक गुलमोहर का पेड़ खड़ा था वह उसके नीचे जाकर बैठ जाती हैं वह सपने की कविता को ध्यान में  रखकर कविता लिखने की कोशिश करती हैं।वह ऐसे ही मन के भावों को शब्दों में पिरोती हैं ।तभी वहा पर खुशी आ जाती हैं । खुशी कहती हैं, "अरे तू बैठी डायरी पर क्या लिख रही हैं।"प्रेरणा कहती हैं, "कुछ नहीं वैसे ही लिख रही हूं।"खुशी उसके हाथ से वह डायरी छीन लेती हैं।वह उसका लिखा देखती हैं जो एक कविता तैयार हो जाती है ।खुशी उसकी कविता पढ़कर हैरान रह जाती हैं। खुशी कहती हैं,"तुन्हें तो बहुत अच्छी कविता लिखी है अमैंजिग वो भी पहली बार।तू अपनी कविता को‌ न्यूजपेपर में छपवाना मेरे पापा के दोस्त हैं वे पत्रकार हैं वे छपवा देंगे। मैं पापा से‌ बोल दूंगी। प्रेरणा ने उसको थैंक्स बोला।वह बहुत खुश हुई। खुशी ने अपने पापा से बात की प्रेरणा की कविता छप गई। परन्तु लव की कविता छपनी बंद हो गई। प्रेरणा उस बात से काफी उदास थी ।वह और अच्छी अच्छी कविता लिखने लगी वह भाव के शब्दों की गहराई में पहुंचती गई।उसने बहुत कविता ,दोहे, कहानी,लेख लिखे वह न्यूजपेपर में छा गई उसकी एक पहचान बन गई।उसको न्उयूजपेपर से ईनाम मिलता था। बड़े लोग ईनाम देते थे‌ उसकी लेखनी पर‌। एक दिन बहुत बड़ा कवि सम्मेलन हुआ प्रेरणा को भी वहां बुलाया गया। प्रेरणा वहां चली गई।वहां पर कवियों को पुरस्कृत किया जा रहा था। मंच पर प्रेरणा का नाम बोला जा रहा था। प्रेरणा मंच पर चली गई उसको सम्मान से पुरस्कृत किया गया।वह अपनी सीट पर आकर बैठ गई।उसके बाद लव‌ का नाम बोला गया प्रेरणा का दिल धक-धक करने लगा उसके नाम से ही कहीं वह लव तो नहीं दिल में बेकरारी सी होने लगी।वह बहुत बैचेन हो गई
लव उसके पीछे वाली सीट से ही उठकर गया वह पीछे से दिख रहा था  उसका चेहरा नहीं दिखाई दिया ।वह मंच पर पहुंच गया। प्रेरणा उसका चेहरा देखने के लिए बहुत उत्तेजित थी।उसने जैसे ही अपना चेहरा घुमाया प्रेरणा नज़र उसपर पड़ी वह कविता वाला ही लव‌ था जैसे उसने चेहरे की कल्पना की थी वह बैसे‌ ही था। प्रेरणा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।वह फूले नहीं समा रही थी उसका मन कर रहा था वह उससे बात करें उसका धन्यवाद करें उसकी ही वजह से आज मैं यहां हूं।मुझे इतना सम्मान मिला ये पद प्राप्त हुआ है और उसके मन में उसके लिए कुछ फीलिंग भी थी। प्रेरणा लव के मंच से उतरने का इंतजार करती रही।लव मंच से उतरकर आने लगा लव उसके सामने आकर खड़ा हो गया।वे दोनों एक दूसरे को कुछ देर तक ऐसे ही देखते रहे। प्रेरणा के मुंह से कुछ ना निकला।लव बोला , "प्रेरणा जी कैसी हो आप?"प्रेरणा हैरान कुछ देर तो प्रेरणा खामोश रही। थोड़ी देर बाद बोली ,"ठीक हूं वट आप मुझे कैसे जानते हो।"लव कहता हैं," आपको कौन नहीं जानता हैं जी।आपकी काफी कविता पढ़ी हैं मैंने आपसे मिलने की चाह थी मेरी कविता से मिलते जुलते भाव थे आपके।आप तो मुझे जानती नहीं होगी?"प्रेरणा बहुत शोक्ड थी ये हो क्या रहा था। मुझे तो खुद मिलने की चाह थी। प्रेरणा कहती हैं, "जी हां मैं आपको जानती हूं मैंने अपना दो कविता पढ़ी हैं काफी अच्छा लिखते हो।मैंने आपकी कविता पढ़कर ही सीख ली ।आपकी कविता ने ही मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया।आज मैं इस पद पर हूं आपकी वजह से धन्यवाद। मैं भी आपसे मिलना चाहती थी आपको देखना चाहती थी ।"लव कहता है," मैं भी देखना चाहता था आपकी कोई भी पिक्चर न्यूजपेपर में नहीं आई,आपने तो मुझे पहले ही देखा होगा।" प्रेरणा कहती हैं,"हां बस आधा चेहरा देखा था पूरा तो अमैंजिन किया था।"लव कहता है,"ओ हो हमारा चेहरा भी कोई अमैंजिन कर सकता हैं।क्या आपकी अमैंजिन सही हैं ?" प्रेरणा कहती हैं,"हां ।लव मुस्कुराकर कहता है,"प्रेरणा जी आपने ऐसा क्यों किया,आपका क्या इरादा हैं?"प्रेरणा शरमा जाती हैं उसके फेश पर स्माइल होती हैं।वह चुप रहती हैं।लव कहता हैं,"मत बताओ मुझे सब पता हैं वैसे आपसे एक बात बोलूं आप बहुत ब्यूटीफुल हो और इंटेलीजेंट भी। बहुत अच्छी मन से बहुत सुंदर क्या आप मुझसे सादी करोगी। प्रेरणा बहुत खुश हो जाती हैं मन का मीत जो मिल रहा था। प्रेरणा हां बोल देती हैं।लव के मन में लड्डू फ़ूटने लगते हैं।उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता।लव कहता हैं," चलो कहीं रेस्टोरेंट में चलते हैं चाय तो पी लें इतनी सारी बातें हो गई है दो अनजान इतने खास हो गये हैं।आज हमें हमारी किस्मत ने मिलवा दिया। बहुत खुशी का दिन हैं। वे दोनों रेस्टोरेंट चले जाते हैं।लव घर पर बात करता हैं सादी की उसके घर के मान जाते हैं।लव‌ अपने मम्मी पापा को लेकर प्रेरणा के घर आता हैं, दोनों परिवार राजी हो‌ जाते हैं।उनकी सादी हो जाती हैं।वे दोनों मिलकर बहुत किताबें लिखते हैं।वह गीत भी लिखना स्टार्ट कर देते हैं।वे दोनों काफी पोपुलर हो जाते हैं। प्रेरणा की सफलता के पीछे उसकी मेंहनत भाव,लव की कविता थी।

Comments & Reviews

Chanchal chauhan
Chanchal chauhan Nice

8 months ago

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Chanchal chauhan
Chanchal chauhan Sundar bhab

8 months ago

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