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बहारें बन खुशी का खत मिला है, खुशी के दरमियां बेजार भी हैं।

संदीप कुमार सिंह 02 May 2023 शायरी प्यार-महोब्बत मेरी यह शायरी समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6489 0 Hindi :: हिंदी

बहारें बन खुशी का खत मिला है,
खुशी के दरमियां बेजार भी हैं।

नज़र में लाज होना यह अदा है,
दिलों के बीच में   बीमार भी हैं।

समझ कर बात आगे अब बढ़ाना,
मित्रों के महफिलें कुछ खार भी हैं।

फलक में है चमकता चांद बगिया,
जहां के दरमियां कुछ भार भी हैं।

जिगर में हो वतन का शान मन में,
रखें हिम्मत वतन में  गद्दार भी हैं ।

हवा में है भरी मद की मिठासें,
धरा पर अब कई हकदार भी हैं।

गुलाबी बन अभी शामें शहर है,
शहर में आज के पैकार भी हैं।

गुलों की आज आई है बहारें,
बहारों में मजे गमखार भी हैं।

मुकामों की लगी तारें सजी है,
मुकामों को छुने दमदार भी हैं।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार

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