Rajendra Prasad Gupta 15 Jun 2023 आलेख समाजिक एक पिता और उसका बेटा 6634 0 Hindi :: हिंदी
एक समय की बात है, एक पिता और उसका बेटा बड़ी खुशहाली से रहते थे। दोनों का प्रेम और सम्मान एक दूसरे के लिए गहरा था। उनके बीच एक प्यार और समझौता से भरी रिश्ते थी। उन्हें अपने परिवार का गर्व था और वे सभी को खुश रखने के लिए पूरी कोशिश करते थे।लेकिन एक दिन, अचानक एक मामले में उनका सम्बंध दुश्मनी और आपसी असंतोष की ओर मुड़ गया। बेटे ने अपने पिता के साथ एक व्यवहारिक बातचीत के दौरान एक गलती कर दी और उसे अपने पिता की बातों का मजाक बना दिया। पिता को यह बेहद दुःखी कर गया और उन्होंने बेटे पर क्रोध निकाल दिया। बेटा खुद परेशान हो गया और बहुत ही दुखी हो गया कि उसने अपने पिता को निरादर किया। उसके मन में विचार उठने लगे कि इस समस्या को कैसे हल किया जाए। उसने सोचा कि यदि वह सिर्फ न्याय की बात करेगा, तो समस्या केवल उनके बीच द्वंद्विता और क्रोध को बढ़ा सकती है। बेटा ने इस समस्या का समाधान ढूढ़ने के लिए प्रेम और संवेदनशीलता का मार्ग चुना। उसने अपने पिता के पास जाकर उसे मन की गहराई से अपनी बात समझाई। वह बताया कि उसने उस क्रोध भरे समय में गलती कर दी थी, लेकिन उसे खुद को पछताने का एहसास हो गया है और उसका इरादा है कि वह सुधार करेगा। पिता ने अपने बेटे के आगे अपना गुस्सा घटाकर उसे गले लगाया और उसे माफी मांगने के लिए प्रेरित किया। वे दोनों एक-दूसरे को समझने और समर्थन करने का वादा करके एक समाधान प्राप्त कर लिया। इसके बाद से, उनके बीच पहले से भी गहरी प्रेम और समझदारी थी। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हमारे प्रियजनों के साथ समस्याएं होती हैं, तो हमें न्याय की बजाय समाधान की ओर ध्यान देना चाहिए। समझदारी, प्रेम और संवेदनशीलता समस्या को हल करने के लिए सबसे अच्छे मार्ग होते हैं और इनका अनुसरण करने से हम सभी खुश रह सकते हैं।
I take pride in writing articles on all the problems related to the society....