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प्रभात-प्रभात ही जीवन का भी सुप्रभात है

संदीप कुमार सिंह 07 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3640 0 Hindi :: हिंदी

नींद से जगने का समय हो गया है,
प्रभात का जादू चारों और छा गया है।

सारे प्राणी में उत्सुकता की आई है लहर,
प्रभात का वायु सकूं प्रदान कर रहें हैं।

आसमान से सूर्य किरणों का इन्तजार है,
अभी पूरब दिशा की लालिमा गजब है।

रजनी आराम देकर खुद कहीं गई है,
प्रभात के सहारे हम सभी को छोड़ गई है।

प्रभात हमें फिर रजनी तक के लिए,
ताजगी और शक्ति से सबको तैयार करते।

प्रभात आते ही हलचल शुरू हो जाते हैं,
संगीत की मधुर ध्वनि से जीवन शुरू होते हैं।

दिवस भर सभी जीवन राह पर चलते हैं,
सार्थकता का कदम से कदम बढाते हैं।

प्रभात  वेला  पावनता से भरा होता है,
जो पूरे दिवस का आकलन करता है।

प्रभात ही जीवन का भी सुप्रभात है,
प्रभात दिवस में स्वर्निम दिव्य मधुर है।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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