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बसंत पंचमी मां सरस्वती का पूजन दिवस

Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक मां सरस्वती , बसंत पंचमी 88940 0 Hindi :: हिंदी

  बसंत पंचमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है | यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है| इस दिन से  बसंत ऋतु का आगमन होता है , इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और इस दिन को मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है| मां सरस्वती जिन्होंने पूरे संसार में स्वर, संगीत, ज्ञान ,कला, विद्या ,लेखन ,कला समृद्धि प्रदान की है, विद्यार्थियों को विद्या मां सरस्वती के द्वारा ही मिलती है, इसलिए बसंत पंचमी के अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों में मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करके माता की पूजा की जाती है, सजावट की जाती है ,कला का प्रदर्शन होता है |मां सरस्वती के लिए भक्ति संगीत का आयोजन किया जाता है| विद्यार्थी मां को पीले फूलों से पीले वस्त्र पहन कर बहुत ही श्रद्धा के साथ उनके आगे नतमस्तक होते हैं और अपनी पढ़ाई अर्थात विद्या उनसे मांगते हैं, दीए जलाए जाते हैं ,आरती गाई जाती है और प्रसाद बांटा जाता है अर्थात अलग अलग तरीके से मां सरस्वती को मनाया जाता है और मनाए भी क्यों ना ? मां सरस्वती केवल विद्या ही नहीं,  कंठ अर्थात गले मैं स्वर जिससे संगीत बनता है, जिससे स्तुति की जाती है सब प्रदान करती हैं इसके अतिरिक्त लेखकों के लिए लेखन कला और सब तरह की कला मां सरस्वती के द्वारा प्राप्त की जाती है| जब भगवान ने संसार की रचना थी, तब संसार अधूरा था ,तब मां सरस्वती ने ही दुनिया में स्वर भरकर उसे सुंदर बनाया बसंत पंचमी का दिन वैसे भी कोई भी कला के आरम्भ करने के लिए बहुत ही शुभ बताया गया है| वैष्णो मां के दरबार में 3 देवियों के दर्शन किए जाते हैं, एक मां काली शक्ति प्रदान करने के लिए, मां लक्ष्मी धन प्रदान करने के लिए और तीसरी मां सरस्वती जो ज्ञान की देवी हैं जो सभी प्राणियों में ज्ञान, बुद्धि, विवेक, स्वर प्रदान करती हैं इसलिए वहां पर तीनों देवियों के सम्मिलित रूप के दर्शन किए जाते हैं| कवि लेखक मां सरस्वती की कृपा बिना कुछ नहीं लिख सकता| श्री रामायण जो हिंदुओं का बहुत ही पवित्र ग्रंथ है उसमें भी जिक्र मिलता है कि जब कुंभकरण, रावण और विभीषण तीनों इकट्ठे भगवान की तपस्या कर रहे थे ,तब कुंभकरण के विशाल शरीर से देवताओं को भी डर था कि कुंभकरण पता नहीं वरदान में  क्या मांग ले, तब भगवान की विनती पर मां सरस्वती कुंभकरण की जीभ पर बैठते हैं जिससे वह वरदान में निद्रा मांग लेता है |यहां कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे स्वर अर्थात बोल मां सरस्वती की कृपा से ही निकलते हैं | मां सरस्वती का रूप अत्यंत सुंदर है |वह उज्जवल सुंदर वस्त्रों में और हाथों में वीणा पुस्तक धारण करती हैं | वह पूरे संसार में बहुत ही आदर के साथ पूजी जाती हैं|
 उमा मित्तल
 राजपुरा टाउन (पंजाब)

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