Poonam Mishra 08 Jul 2023 आलेख समाजिक एक विचार 6523 0 Hindi :: हिंदी
मैंने कई बार कई जगह सुना है और पढ़ा भी है यहां तक कि मैंने देखा भी है कि समाज में स्त्रियों को बहुत जगह दबा के रखा जाता है मध्यम वर्गीय परिवार में ज्यादातर महिलाओं को छोटी-मोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है वह चाहकर भी अपने लिए कुछ नहीं कर पाती हैं छोटी-छोटी खुशियों के लिए वह परेशान होती है मैंने अक्सर यह महसूस किया है कि इनकी खुशियों को नजर लगाने में घर की महिला का बहुत ही महत्वपूर्ण होता है एक महिला ही दूसरी महिला की खुशी को नहीं देख सकती वह यह हमेशा प्रयास करती है कि किस प्रकार इसे नीचा दिखाया जाए परिवार में यदि सांस हो जेठानी हो देवरानी हो यह सभी महिला ही है परंतु अगर कोई एक नया सदस्य इस घर में आया हो तो किस प्रकार से उसकी खुशियों को कम किया जाए ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवार में यह देखा गया है इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारा समाज एक पुरुष प्रधान समाज है और अब महिलाएं भी पुरुषों के समान कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी है बहुत से पुरुष अपनी महिलाओं का समाज में मान बढ़ाने में भी बहुत से योगदान देते हैं शादी के बाद भी उन्हें अपने पैसे से पढ़ाते दिखाते हैं और योग्य बनाते हैं परंतु कहीं न कहीं महिलाओं को पीछे करने में महिलाओं का ही हाथ होता है