Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद janwar aur vahan) 36007 0 Hindi :: हिंदी
तुम मुझे माफ कर देना मुन्ना, मैंने तुम्हारा बहुत बार दिल दुखाया है,, मैं कितना निकम्मा था, मैंने सारे जीवन, अपनी शान शोहरत में गुजार दी,( रमेश बहुत बड़ा आदमी है) उसके पास एक चमचमाती कार है" उसे बचपन से गाड़ियों से बहुत लगाव था,( एक चमचमाती हुई कार) एक बड़ी बिल्डिंग के सामने, खड़ी है ( मुन्ना मैंने इस बात को भुला नहीं) कि मैं जीवन की तुलना अपनी गाड़ियों से करता था) मैं जीवन को रत्ती भर भी दाम नहीं देता था) तुमने एक बार, मेरी गाड़ी की सीट पर, चाय गिरा दी थी, पर मैंने तुम्हें, जोड़ों का थप्पड़ मारा था, हाय! इस कटु व्यवहार से तुम्हारे दिल को कितना ठेस पहुंचा है, हाय! भगवान भी मुझे ना माफ करें! तुम तो मेरे सबसे वफादार आदमी थे,( आदमी के तो छोड़ो) मैंने जानवरों को भी नहीं बख्शा) तुम्हें एक बात बताना भूल रहा हूं मुन्ना, जब मैं शाम को बगीची में डालने जाता था, 1 दिन में, सुबह-सुबह ही बगीचे में टहल रहा था, तभी वहां पर मैंने देखा, एक सुंदर सा कुत्ते का बच्चा_ उदास बैठा है, उसे देख कर मुझे दया आ गई, मैंने उसे कुछ खाने को दिए, वह कुत्ता उसे चुपचाप खा रहा था, और मेरी तरफ से देख रहा था, मैं इस बात को ज्यादा ध्यान ना दिया, पर मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा, वह मेरे कार के पीछे पीछे, भागता हुआ, मेरे घर तक चला आया, और मेरे के घर के पास दरवाजे पर, बैठा रहा, जब मैंने उसे देखा तो, मैं चकित हो गया, फिर मैंने उसे कुछ रोटियां दी, अब वह प्रतिदिन, मेरे घर के पास बैठा रहता, और मेरे साथ साथ, सुबह शाम, बगीचे तक जाता, जब तक मैं नहीं लौटता, वह भी नहीं आता था, अब मैं उसे रोटियां देता था, और वह बदले में, मेरे और मेरे घर की रखवाली करता, मैं इस बात को समझ नहीं पा रहा था, मैं कितना निकम्मा था, हाय मैं कितना निर्दई था, एक दिन वह, मिले कार को अपनी जीभ से जाट रहा था, यह बात मुझे कुछ अच्छी नहीं लगी, और मैंने एक डंडे से, उसकी पिटाई कर दी, वह मासूम बच्चा, रोता रहा, और मैं कसाई की तरह उस पर वार करता रहा, मैंने उसके दिल पर, कितना बड़ा आघात किया था, और फिर मैं गुस्से में, अपने घर की तरफ चला गया, फिर शाम को, मैंने देखा, वह वहीं बैठा था, मैंने उसके दिल को, कितनी बार आघात की थी, लेकिन भगवान ने उसके दिल में, एक मासूम सा, फूल खिलाया था, जो इतना होने के बावजूद भी, नहीं मुरझाया था, उसने मुझे माफ कर दी थी, लेकिन मैंने अपनी गलतियां रहने पर भी उसकी तरफ ना देखा😪😪 वह मेरे साथ प्रतिदिन, बगीचे में जाता था, लेकिन मैं उससे बातें ना करता था, मैं उसे कुछ खाने को नहीं देता था, हाय मैंने कितना बड़ा अपराध किया है, इस अपराध के लिए तो भगवान भी हमें ना माफ करें, वह प्रतिदिन हमारे घर पर, आकर बैठता था, सब कुछ भुला कर अपना कार्य करता था, लेकिन हाय मैं इतना निर्दई, कैसे था क्या इंसान से, इंसानियत चली गई, इस बेजान वस्तु को, मैं प्रेम करता रहा, आज मैं एक सड़क के किनारे पड़ा हूं, और कुछ ही देर में मेरी सांसे, मिट जाएंगे, और मैं यहां से लुप्त हो जाऊंगा, मैं अंतिम क्षणों में, मुझे अपने किए हुए भूल पर, पछतावा हो रहा है,,( हां इंसान) जो पहले जानवरों की सवारी करता था) जो भावना हमारे जानवरों के प्रति थे) वह जानवर हमारे पास नहीं) लेकिन उसकी भावनाएं, हमारे पास जरूर है, हम अपनी गाड़ियों पर😪 उतना ही भरोसा करते हैं, जितना पहले के लोग जानवरों पर करते थे, लेकिन वह लोग ग्रेट थे, उनके जानवर महान थे, आज हम पैसे लगाकर, अच्छी कार तो खरीद सकते हैं, पर अच्छा मित्र नहीं खरीद सकते, घोड़ा जैसा वफादारी नहीं खरीद सकते, हां पहले की सवारी, वफादार होती थी, प्यार को समझती थी, लेकिन इंजनों में, वह बात कहां- आज हम भले ही, अपनी यात्रा का समय, कम कर लिया हो, लेकिन हम, गाड़ियों पर इंसानों जैसा यह जानवरों जैसा, विश्वास नहीं ला सकते, हमें गाड़ियों से प्यार करना चाहिए, लेकिन जीवन से बढ़कर नहीं, जीवन की तुलना, मोटर गाड़ियों से ना हो, आप इसे सेफ्टी से ही चलाएं, आप इस पर भरोसा नहीं कर सकते, आप इस बात का ख्याल जरूर रखें, यह मशीन है, कोई जानवर नहीं, जो आपके सारे पर चल देगा,9 आशा है लेख आप सब लोगों को, पसंद आई होगी, मैं आपका प्रिय लेखक शुभम कुमार, मैं आपको अपनी कहानियां पढ़ने के लिए धन्यवाद देता हूं, आप यूं ही अपना प्यार बनाए रखें
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...