Pinky Kumar 13 Apr 2023 आलेख राजनितिक 7292 0 Hindi :: हिंदी
युद्ध कैसा भी रहा हो इसका खामियाज हमेशा आम जनता ही भुगती है एक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण बचाने कि बात होती है। और दूसरी और युद्ध करके हम इंसान पर्यावरण को ही नुकसान पहुंचा रहें में यूक्रेन और रूस मध्य हो रहें युद्ध के बारे में बात कर रही हुँ में कह सकती हुँ कि यह मेरे सामने पहला युद्ध होगा जिन्हें में अपने आँखो से देख पा रही हूँ मुझे पता है इतिहास में प्रथम विश्वयुद्ध वित्तीय विश्वयुद्ध हुए है। पर इस युद्ध को देख कर मेने जाना कि युद्ध कैसा भी हो भुगती आम जनता ही है। जैसे गरीबी, भुखमरी, बीमारीया, अर्थव्यवस्था , आदी अन्य कारण पेदा होते है। युद्ध से और यूक्रेन कि बात करूतो चारों और मोत का मंज़र बना हुआ है। मिसाईले दागी जा रही है। चारो और बम्म बारी गोलिया चल रही है। और उस सब के बिच यही कहना कि कोई तो मदत करो कोई हमें बचा लो हमारी क्या गलती है। हमें इसकी सजा क्यों मिल रही है। किसी कि बहन तो किसी का भाई किसी के माता - पिता तो किसी कि पत्नी किसी के बच्चे और किसी का पति इस युद्ध में अपनी जान दे चुके है। अभी भी मलबे में से घायलों को निकाला जा रहा है। रो रहे है। और एक ही शब्द कह रहें है। हमें यहाँ से दुर ले चलो सरकार ने ऐलान किया है। कि 18 से 60 वर्ष के पुरुषों को अपने देश के लिए लड़ना होगा इसी लिए वह लोग अपने बच्चे और अपनी पत्नी को सुरक्षित जगह पहुंचा रहे है स्थिती खाफी खराब है। बचना मुश्किल है। पता नहीं कितनी और जाने जाएगी और कब यह युद्ध बन्द होगा क्या करे हमें लड़ना होगा आखिर देश कि बात है। चाहे जान ही क्यों ना जाये हम एक दुसरे का सहारा बन कर मदत करनी होगी आखिर देश कि बात है। और इस युद्ध में महिलाएं भी शामिल हो सकती यह कोई पाबन्दी नहीं है। की महिलाएं नही होगी सब अपने स्तर पर देश कि मदत कर रहें है। कोशिश जारी है। और आगे भी रहेगी
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