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मन मौजी है दूर खड़ा है, मैं कहाँ हूँ वो कहाँ है, कुछ सोचा था भूल गया है। आज का मौसम कुछ ऐसा है, आज का मौसम मन जैसा है। युवा रचनाकार उज्ज read more >>
(गज़ल) एक हसीन खुद्दार इंसान हूं मैं, मानवता का जागता प्रमाण हूं मैं। जन्म जो धरा पर मैने लिया हूं, स्वर्ग की कमाना लिए गुमान हूं मैं। read more >>
(ग़ज़ल) बात बनते कहां हमारे हैं, सोच से ही सुमन नजारे हैं। रात जमते कहां हमारे हैं, चाहतें अब जवां मचले हैं। काश वे मित बने सदा दिल से, read more >>
जिंदगी हार मुझे कहती है आज तू जाग अभी कहती है। कितना जालिम जमाना है शायद बिना ही बात के बदनाम मुझे कहती है। बड़े काबिल थे हम भी अपनों read more >>
दिल ही दिल में घुटती हूं कितनी बातें और कहूं ? न जाने? कितने किरदारों के साथ में जीती हूं . अब न जाने क्यों? दिल यह कहता है कैसे मैं ? इन सब read more >>
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