हरवंश हृदय 03 Apr 2024 ग़ज़ल समाजिक #हरवंश #आदमी बेकार होता जा रहा है #हरवंश हृदय #HARVANSH Hriday 3612 0 Hindi :: हिंदी
आदमी बेकार होता जा रहा है बहुत लाचार होता जा रहा है हाल मत पूछिए हृदय का फकत बेजार होता जा रहा है इश्क इबादत हुआ करता था अब कारोबार होता जा रहा है कभी घर था जो बसर के लिए बड़ा बाजार होता जा रहा है राज जो राज था कल तलक आज अखबार होता जा रहा है अंदाज हुनर सलीका रखे रहो पैसा किरदार होता जा रहा है जंगल मिट रहे जमीन से आंगन अश्जार होता जा रहा है कत्ल हो सकते हो कभी भी हुस्न हथियार होता जा रहा है – हरवंश हृदय बांदा