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तमाम उलझनों को समेटे हम- चल दिए उस रह पर

Manu Vishwakarma 25 Jul 2023 शायरी प्यार-महोब्बत 7141 0 Hindi :: हिंदी

तमाम उलझनों को समेटे हम, चल दिए उस रह पर
जिसमे ना आगे मंजिल थी, ना रास्ता और ना तू 

यू तो, खुद के अंजाम से रूबरू थे हम
पर कमबख्त, इस दिल को कौन समझाए

बया कर रहे थे रास्ते आगे की मंजिल की दस्ता
पर कमबख्त हम तो शायर निकलें, हमे कौन समझाएं

कलम को रख कर जेब में ,चल दिए हम तेरी कैद में 
पर ये किस्मत को ना गवारा था क्योंकि वो ना हमारा था  

पन्नो को जोड़कर किताब बनाई,फिर उसमे तेरी यादों सजाई
फिर हमने उसमे आग लगाई, और एक कप चाय बनाई

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