MANGAL SINGH 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नववर्ष 19224 0 Hindi :: हिंदी
ईरान में नौरोज बना, आंध्र में उपादिनाम। भूल के अपना नववर्ष, बस याद जनवरी नाम। जम्मू में नवरेह बना, और सिंध में चेतीचंड। भूल कर अपनी संस्कृति,ऊपर से करें घमंड। असम बनाए रोंगली बिहू, केरल बनाए विशु। भूल गए सब अपना सम्वत, याद रहा बस इशू। महाराष्ट्र बनाता गुड़ी पड़वा, हम लोग बनाते न्यू ईयर। कुछ पीते मदिरा इस दिन,और कुछ पीते हैं बीयर। राम "चैत्र" सिंहा पर बैठा,और बैठा युधिष्ठिर। भूल के अपना देश, शर्म से झुके हैं सबके सिर। हम भूल गए वही खाता करण, बस याद है सबको लड़ना। ग्रह, ऋतु, पक्ष, और मास की चैत्र से होती गणना। करने को मनु रक्षा इस दिन, विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया। ब्रह्म ने सृष्टि रचना की ,और मानव का उद्धार किया। हम भूल गए सभी धर्मों को, और भूल गए सभी पर्व। बस याद रहा भारत में सबको , गैरों का नववर्ष।