ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्यार, मोहब्बत, इश्क़, जीवन 14428 0 Hindi :: हिंदी
जीता था जिया हूं जीता रहूंगा मोहब्बत ही तो थी वो मैं उसके लिए खुद को क्यूँ खत्म करूँगा हसना माँ ने सिखाया बाप ने निडर बनाया बहन ने हमेशा जगाया उसके रुलाने पर खुद को क्यूँ रुलाउँगा रातो मे उसकी याद मेरी दुआओं मे उसकी फरियाद वो भी मेरे लिए ऎसा करे ये टूटी हुयी उम्मीद क्यूँ लगाऊंगा दिया जो उसने मुझको ताउम्र सीने से लगाऊंगा दिल भर कर रोउंगा जमाने को क्यूँ बताऊंगा खुश हूं बहुत हंस भी रहा हूँ बहुत कब तक ख़ुद को दुनिया को यूँही मूर्ख बनाऊंगा मोहब्बत थी वो मेरी मैं उसे कैसे भूलाउंगा पता नहीं कैसे भूलाउंगा