Jyoti yadav 07 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मां एक बार फिर से कह दे अभी है मुझमें लड़कपन 5735 0 Hindi :: हिंदी
काश ऐसा होता फिर से लौट आता मेरा बचपन मैं कितना भी गलती करती और मेरी मां कहती इसमें अभी है लड़कपन सुनने को तड़प रही है कब से मेरी धड़कन मां एक बार फिर से कह दे अभी है मुझमें लड़कपन अब तो बिना किसी गुनाह की सजा होती है जब से खबर लेना तुम छोड़ी हर रोज कजा होती है क्यों छोड़ दिया मां तुने मुझे मेरे हाल पे क्या मैं इतनी बड़ी हो गई हूं बेफिक्र हो गई मेरे ख्याल पे मुझे बेचारी नहीं बनना मां फिर से मुझे अपना गुरुर बना लें हो सके तो जमाने से चुरा ले और अपने पलकों पर सजा ले देख कह रहा है मेरा तन मन मां एक बार फिर से कह दे अभी मुझमें है लड़कपन अब फिर से लौटा दे मेरा बचपन