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नादान इश्क-कैरियर बर्बाद

Mohd meraj ansari 21 Sep 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत नादान इश्क, बचपन का प्यार, मोहब्बत, प्यार में नादानी, पढ़ाई में नुकसान, पढ़ाई पूरी न करना, मोहब्बत में कैरियर बर्बाद 15591 0 Hindi :: हिंदी

एक मोहब्बत की अजीब दास्तान जिसका हीरो है दाऊद। भोला सा लड़का जो अभी 8वीं में पढ़ाई कर रहा था। खोया खोया सा रहता। पढ़ाई में मन लगाए रहता। घर वालो के डर से ही सही लेकिन पढ़ाई में कभी कमजोरी नहीं दिखी दाऊद में। खेलने कूदने भी जाता दोस्तों के साथ तो वहां भी खोए रहने की वजह से बाकी लड़के उसका मजाक बनाते थे। वो नजरंदाज कर देता था। ऐसे ही चलता रहा। पढ़ाई जारी रही और खेल में पीछे। उसके पड़ोस में एक भाभीजी रहती थीं। उनके विदेश में नौकरी करते थे। वो अकेले ही घर संभालने से लेकर बाजार से गृहस्ती का सामान लाने का भी काम देखती थीं। दाऊद उन्हें रोज देखता था आते जाते। ना जाने क्यों दाऊद को उन भाभी में अपनापन लगता था। शायद इसलिए कि वो भी अकेली रहती थीं और दाऊद को भी अकेलापन पसंद था। एक दिन दाऊद स्कूल से वापस घर की तरफ लौट रहा था। रास्ते में उसे भाभीजी दिखीं। जो बहुत सारा गृहस्ती का सामान लेकर घर की ओर जा रही थीं। सामान इतना ज्यादा था की उनसे अकेले उठाकर चला नही जा रहा था। दाऊद ने उन्हे इस हाल में देखा तो सोचा की अपनी पड़ोसी ही तो हैं। चलो कुछ सामान मैं पकड़ लेता हूं। आखिर एक ही जगह तो जाना है। दाऊद ने उनसे कहा– भाभीजी इतना सारा सामान लेकर आप कैसे घर तक जाएंगी, लाइए कुछ थैले मुझे दे दीजिए, मैं भी घर ही तो जा रहा हूं, पहुंचा दूंगा। भाभीजी मान गईं। दोनो बातें करते हुए घर की तरफ चल दिए। भाभीजी ने दाऊद से पूछा की आप किस क्लास में पढ़ते हैं? दाऊद ने बताया कि 8वीं में। फिर दाऊद ने पूछा आपके हसबैंड कहां हैं? उन्होंने बताया विदेश में नौकरी करते हैं वहीं पर रहते हैं। अभी ही नई नही शादी हुई है 3 महीने पहले। वो नौकरी के लिए गए हैं अब 2 साल बाद उन्हें छुट्टी मिलेगी। यूं ही बात करते हुए घर आ गया और दाऊद उनका सामान उनके घर पर देकर जाने लगा तो भाभीजी ने रोकते हुए कहा कि चाय पीकर जाइए। दाऊद रुक गया और भाभीजी चाय बनाने लगीं। एक कमरा और उसी से लगकर एक छोटा सा किचन था। कमरे में दाऊद बैठा चाय का इंतजार कर रहा था और बगल में भाभीजी चाय बना रही थीं। यूंही फिर दोनों में बातें होने लगीं। भाभीजी से भी बात करने वाला कोई नहीं था इसलिए उन्हें भी अकेलापन काटने दौड़ता था। आज पड़ोसी मिला है तो सोचा की थोड़ी बात कर के दिल बहला लें। दाऊद के भी कोई दोस्त नहीं थे। इसलिए उसे भी भाभीजी से बात करके अच्छा लगा। दोनों ने चाय पीते हुए बातें की और फिर दाऊद अपने घर चला गया। शाम को पढ़ाई किया, खाना पिया हुआ और सो गया। अगले दिन स्कूल गया और रोज की तरह सब पहले जैसा। कुछ दिन बीते और एक दिन भाभीजी दाऊद के घर आकर उसकी अम्मी से बातें कर रही थीं। उसी समय दाऊद स्कूल से लौटा तो भाभीजी को देख कर काफी खुश हुआ। उसकी अम्मी और भाभीजी में अच्छी जान पहचान हो गई थी इतनी ही देर में। भाभीजी ने अम्मी के सामने ही दाऊद से पूछा कि पढ़ाई कैसी चल रही है? दाऊद ने बताया कि सब अच्छा चल रहा है। दाऊद की अम्मी ने पूछा आपलोगों की पहचान कैसे हुई तो भाभीजी ने बाजार वाली घटना सुनाई और कहने लगी कि आपका बेटा दाऊद दिल का बहुत अच्छा है। सबकी मदद करने वाला है। अम्मी भाभीजी के मुंह से अपने बेटे की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुईं। भाभीजी अम्मी से बातें कर के अपने घर चली गईं। कुछ दिनों बाद भाभीजी की तबियत खराब हुई तो अकेली औरत किससे मदद मांगने जातीं। वो सीधा दाऊद के घर गईं और उसकी अम्मी से अपनी तबियत के बारे में बताने लगीं। दाऊद उस वक्त पढ़ाई करने बैठा था। उसकी अम्मी ने दाऊद को आवाज लगाई तो वो उठ कर उनके पास आया। अम्मी बोली की भाभीजी को मोटरसाइकिल से डॉक्टर के पास ले जाओ और दवाई दिला लाओ। दाऊद तैयार हो गया और उन्हें मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले जाने लगा। रास्ते में गड्ढे थे तो मोटरसाइकिल बहुत झटके मार रही थी। भाभीजी गिर ना जाएं इसके लिए उन्होंने पीछे से दाऊद को पकड़ लिया। दाऊद के पूरे बदन में सिहरन सी उठ गई। मोटरसाइकिल का बैलेंस बिगड़ने लगा तो भाभीजी के कहा क्या हुआ दाऊद? ऐसे क्यों गाड़ी चला रहे हो? दाऊद कुछ कह नहीं सका लेकिन भाभीजी को समझ आ गया था कि किसी स्त्री का स्पर्श इसने पहली बार अपने बदन पर महसूस किया है इसीलिए ऐसा हुआ। भाभीजी ने अपनी पकड़ ढीली की और आराम से दोनो डॉक्टर के पास पहुंचे और दवाई लेकर वापस घर आ गए। भाभीजी ने फिर से दाऊद को चाय के लिए रोक लिया। अब दाऊद को घर देर से पहुंचने का डर नहीं था क्योंकि अम्मी ने खुद उसे भाभीजी के साथ भेजा था। दाऊद ने चाय पी और भाभीजी से थोड़ी देर तक बात करने के बाद अपने घर चला गया। दिन रोज की तरह फिर से गुजरने लगे।

2 साल गुजरे अब दाऊद 10वीं में था। बोर्ड एग्जाम नजदीक थे और साथ ही भाभीजी से भी दाऊद की नजदीकियां थोड़ी ज्यादा बढ़ गई थीं। उमर ऐसे मोड़ पर थी की इस उमर में लड़के थोड़े भटक हो जाते हैं। हर जगह प्यार की तलाश करने लगते हैं। लेकिन दाऊद थोड़ा समाज से दूर रहने वालों में से था। मन तो उसका भी होता था की उसकी कोई महिलामित्र हो जिसे आम भाषा के गर्लफ्रेंड कहते हैं। लेकिन दाऊद से सब लड़के और लड़कियां दूर ही रहना पसंद करते थे। इसलिए उसे कोई महिलामित्र नही मिली और उसका अकेलापन और महिलामित्र की चाह अधूरी रह गई थी। एक दिन भाभीजी ने दाऊद को खाने पर बुलाया। दाऊद उनके घर गया। दोनो खाने पर बैठे तो भाभीजी में छेड़ने के अंदाज में दाऊद से पूछा– आपकी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? दाऊद ने ना में जवाब दिया। भाभीजी बोली कि आप तो इतने अच्छे हैं फिर भी आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है। दाऊद ने शर्म के मारे ये नही बताया कि हर कोई उससे दूरी ही बनाकर रखता है क्योंकि वो किसी से घुलमिल नही पाता। भाभीजी ने बोला कि आज से आप मुझे ही अपनी गर्लफ्रेंड मान लीजिए। दाऊद ये सुन कर चौंक गया क्योंकि उसे भाभीजी पहले से ही बहुत अच्छी लगती थीं। उनके मुंह से ये बात सुनकर दाऊद खुशी से लाल हो गया था। भाभीजी ने उसका लाल चेहरा देखा तो वो समझ गई कि दाऊद को उनकी बात पसंद आई। शर्म के मारे उसने हां या ना कुछ भी नहीं कहा। खाना खाया और वहां से अपने घर चला गया। अब भाभीजी किसी न किसी बहाने से दाऊद को अपने घर बुलाने लगीं। दाऊद आता और दोनों घंटों बातें करते। दोनों के दिलों में एक दूसरे के लिए मोहब्बत बढ़ने लगी थी। इस मोहब्बत की वजह से दाऊद का पढ़ाई में मन लगना बंद हो गया। वो किताब तो खोल कर बैठ जाता लेकिन भाभीजी के खयालों में हो खोया रहता। उसे एक भी बात किताब से याद नहीं हो रही थी क्योंकि वो तो bs किताब को देखता था लेकिन दिमाग में भाभीजी घूमती रहती थीं। बस इंतजार करता की भाभीजी किसी बहाने उसे अपने पास बुला लें। और ऐसा होता भी। भाभीजी उसे बुला ही लेती। वो दौड़ा चला जाता। धीरे धीरे उसकी 10वीं का एग्जाम आ ही गया और उसने एग्जाम की कोई तैयारी नही कर रखी थी। एग्जाम आ गया और दाऊद ने भाभीजी के प्यार में एग्जाम दिया ही नहीं। दाऊद के अब्बू इस बात आप बहुत गुस्सा हुए की उसने एग्जाम दिया क्यों नहीं। दाऊद ने कुछ जवाब नहीं दिया। आखिर कैसे कहता की भाभीजी के चक्कर में उसने ऐसा किया। अम्मी ने दाऊद से बोला कि अब जब तुम्हारा मन पढ़ाई में नही लग रहा है तो अपने मामा के साथ अहमदाबाद चले जाओ काम सीखो। दाऊद ने टिकट करवाया और मामा के घर चला गया। अगले दिन की ट्रेन थी। भाभीजी उसे स्टेशन तक छोड़ने गईं और उसे जाते देख बहुत दुखी हुईं और रो पड़ीं। दाऊद अहमदाबाद पहुंच गया। काम में लग गया और साथ ही साथ भाभीजी का नंबर लेकर आया था तो फोन से बात भी होती रहती थी। 3 साल लगातार बातें होती रहीं। 3 साल बाद दाऊद अपने घर गया। भाभीजी उसके आने की खबर सुन कर बहुत खुश थीं। वो उसे स्टेशन से घर ले जाने आई भी थीं। घर पर रहकर पहले जैसे दोनों में मिलना जुलना और बातें करना लगा रहा। 3 महीने घर पर रहकर दाऊद वापस अहमदाबाद अपने काम में आ गया। 3 महीने तक काम करने के बाद दाऊद की अम्मी ने उसकी शादी लगवा दी। उस लड़की का नाम था शबा। दाऊद उस लड़की से बात करने लगा फोन से ताकि एक दूसरे को समझ सकें। ये बात भाभीजी को पता चल गई की दाऊद को शादी किसी लड़की से लग गई है और वो उससे बात करता है फोन से। भाभीजी को ये बात बिलकुल रास नहीं आई और गुस्से में भाभीजी ने दाऊद से बात करना बंद कर दिया। अब दाऊद का मन शबा में लग गया था। दाऊद ने लगातार 5 महीने शबा से बातें जारी रखीं। ना जानें क्यों शबा की शादी कहीं और लगा दिए। शबा ने फोन कर के ये बात दाऊद को बताया। इस बात को लेकर दाऊद का दिल टूट कर चकनाचूर हो गया। उसे सुध बुध ही ना रही की वो अब करे क्या। दाऊद ने शबा से पूछा कि क्या तुम भी मुझसे शादी नही करना चाहती और इसकी वजह क्या है? शबा ने बताया की मेरे अम्मी अब्बू ने ये फैसला लिया है इसमें मैं कुछ नहीं कर सकती। दाऊद ने टूटे दिल से कहा कि ठीक है अपने घर वालों की ही सुनो। जहां कहते हैं वहां शादी कर लो। इस घटना को बीते 3 महीने हो चुके। अभी भी शबा दाऊद को मेसेज करती रहती है कि तुम मुझसे आज भी खफा हो क्या? दाऊद ने कह दिया कि जब घर वालों की यही मर्जी है तो मैं कौन होता हूं नाराज होने वाला। मेरा क्या हक बनता है।

दाऊद की नैय्या ऐसे मझधार में फंसी की न वो इस पार उतर सका न उस पार। भाभीजी से नादान इश्क हुआ था वो शबा की वजह से खत्म हो गया। और अब शबा ने भी मुंह मोड़ लिया। दोनों हाथ खाली रखकर दाऊद अपने काम में लग गया। पढ़ाई भी गई और मोहब्बत भी। जिस उमर में कैरियर बनाने का समय था वो उमर उसने मोहब्बत करने में गवां दी और कैरियर बर्बाद कर लिया। फिर मोहब्बत करने की जब उमर हुई तो नादान इश्क और उसकी मोहब्बत दोनों ने साथ छोड़ दिया।

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