राकेश 24 Jan 2024 कहानियाँ अन्य नीली छतरी वाला 4001 0 Hindi :: हिंदी
"अम्मी इस बार मैं आपको एक महीने पहले याद दिला रहा हूं कि 22 जनवरी को मेरा जन्मदिन आने वाला है और इस बार आपको मेरा जन्मदिन पड़ोस के दूसरे बच्चों जैसे धूमधाम से मानना है, हर बार की तरह बहाना नहीं बना देना कि तेरा जन्मदिन मनाने के लिए घर में पैसे नहीं है।" आठ वर्ष का रहीम अपनी मां से झूठी नाराजगी दिखाते हुए यह बात कहता है कहीं ना कहीं रहीम को भी एहसास था कि मेरी गरीब विधवा अम्मी कैसे लाल बत्ती पर गुलाब के फूल बेचकर मुझे भरपेट खाना खिलाकर पढ़ लिख रही है कि एक दिन पढ़ लिख कर मेरा बेटा इज्जत सम्मान की जिंदगी जिए। सोने से पहले अपने इकलौते बेटी की यह बात सुनकर रहीम की अम्मी सोचती है इस बार कुछ भी हो चाहे मुझे देर रात तक लाल बत्ती पर गुलाब के फूल बेचने पड़े लेकिन इस बार मैं अपने बेटे रहीम की जन्मदिन धूमधाम से मनाने की इच्छा जरूर पूरी करूंगी। और 20 जनवरी को रहीम खुशी-खुशी विद्यालय से घर आकर अपनी विधालय कि वर्दी बदलकर खाना खाए बिना अपनी अम्मी के पास लाल बत्ती पर पहुंच जाता है जहां उसकी अम्मी लाल बत्ती पर गुलाब के फूल बेचकर अपना और अपने बेटे का पेट भरती थी। वहां पहुंचकर वह खुशी-खुशी अपनी अम्मी को बताता है अम्मी 22 जनवरी को मेरा जन्मदिन है और उसी दिन दिवाली के त्यौहार की वजह से हमारे विद्यालय की छुट्टी है।" "बेटा मैं अनपढ़ जरूर हूं लेकिन मुझे भी पता है की दिवाली अक्टूबर नवंबर में आती है, मुझे लगता है तूने अपने जन्मदिन की वजह से जानबूझकर विद्यालय से छुट्टी ले ली है।" अम्मी कहती है फिर अपने मन में यह सोच ही रही थी कि चलो दो दिन तो बाकी है रहीम के जन्मदिन में इन दो दिनों में मैं देर रात तक गुलाब के फूल बेचकर इतने पैसे इकट्ठा कर लूंगी की रहीम और मैं उस दिन स्वादिष्ट खाने के साथ मिठाई भी खा सकेंगे मुझे यकीन है रहीम इतना होने पर भी बहुत खुश हो जाएगा। उतने में ही ट्रैफिक हवलदार वहां आकर कहता है "जितने भी फूल बेचने हैं बेंच लो 21, 22 जनवरी को यहां दिखाई नहीं देना।" "साहब दो दिन लाल बत्ती पर क्या दिक्कत है।" रहीम की अम्मी पूछती है? "श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान श्री राम की मूर्ति की स्थापना होगी।" ट्रैफिक हवलदार यह कहकर चला जाता है और 22 जनवरी को रहीम अपनी अम्मी से पहले अपने जन्मदिन की खुशी में जल्दी नींद से जाग जाता है और अपनी अम्मी को नींद से जगा कर कहता है "अम्मी जल्दी जागो आज सुबह से ही मोहल्ले के मंदिर में बहुत रौनक हो रही है और जय श्री राम के जयकारे से पूरा मोहल्ला गूंज रहा है, मेरे जन्मदिन की बहुत धूमधाम से शुरुआत हुई है, आज आपकी तरफ से भी मेरे जन्मदिन में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए। अम्मी अपने मन में सोचती है इस मासूम बच्चे को कैसे समझाऊं कि हम रोज कमाते हैं रोज खाते हैं इसके जन्मदिन पर तो हमें आज भूखे ही सोना पड़ेगा क्योंकि 20, 21 जनवरी को जो पैसे कमाए थे वह तो सब खत्म हो गए हैं। इतने में ही पड़ोस में रहने वाला आदित्य रहीम का पक्का मित्र रहीम के घर आकर रहीम को बताता है कि "रहीम दोपहर को मेरे साथ चलना आज मंदिर के पास बहुत विशाल भंडारा होगा दोनों खूब डटकर खाएंगे।" आदित्य से भंडारे वाली बात सुनकर रहीम की अम्मी बहुत खुश हो जाती है और अल्लाह का शुक्र अदा करती है कि "कम से कम भगवान श्री राम के नाम पर दोपहर को तो पेट भरकर खाना खाने को मिल ही जाएगा। और दोनों मां बेटे पेट भरकर भंडारा खाने के बाद इतनी पूरी सब्जी हलवा इकट्ठा कर लेते हैं की रात के भोजन की भी दोनों अम्मी बेटे की चिंता खत्म हो जाती है। रात को पूरा मोहल्ला दीपकों की रोशनी से जगमगा उठता है और पड़ोस के लोगों से रहीम को बहुत से बम पटाखे फोड़ने के लिए मिल जाते हैं, रात को हलवा पूरी खाते वक्त रहीम की अम्मी रहीम से कहती है "देख बेटा तेरा जन्मदिन पूरे भारत ने कितने धूमधाम से मनाया है। यह बात सुनकर रहीम के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है फिर रहीम कि अम्मी आसमान की तरफ देखकर अपने मन में कहती है "परमात्मा ने किसी भी रूप में आकर की लेकिन मेरे मासूम बेटे की इच्छा पूरी की।"