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विचित्र नगर भाग 2

Alok Vaid 30 Mar 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग #कविता #हिंदी_साहित्य #बाल_साहित्य #प्यार #मोहब्बत 20325 0 Hindi :: हिंदी

विचित्र नगर भाग 2


फिर मैंने अपनी साइकिल उन पेड़ों के नीचे खड़ी कर दी बार-बार मन में उमंग आ रही थी मन हो रहा था कि इस पेड़ की कुछ पत्ते तोड़े जाए मैंने साइकिल खड़ी करके उसके ऊपर चढ़ा और बहुत से पत्ते मैंने तोड लिए जो वास्तविक चांदी के थे और पत्तो को अपनी थैले में रख लिया जहां मैं जा रहा था अपने दोस्त से मिलने उसकी रास्ता उसी गांव में होकर थी मैं साइकिल पर सवार हुआ और तेजी से गांव में होकर दौड़ गया तो देखा एक छोटा सा लड़का दौड़ता हुआ सामने आ रहा है भैया रुको उसने कहा मैने साइकिल रोक ली भैया एक बार हमारे घर चलो मेरे पापा बुला रहे हैं मैं हैरान था इस अजनबी अनजान गांव में मेरा कौन जान पहचान का है मैंने बोला आप कौन वह बोला भैया थोड़ा कुछ वजन का सामान उठा दो पापा नहीं उठा सकते थोड़ा उसकी हेल्प करदो पापा बुला रहे हैं मैं छोटा हूं ना इसलिए मैं नहीं उठा पाऊंगा साइकिल दरवाजे खड़ी करके जब उसके घर में गया उसका बाप दोनों पैरों से अपाहिज था मैंने बोला अंकल क्या हुआ बोले बेटा पैरों में चोट लग गई थी इलाज कराया बीमारी ज्यादा बढ़ गई थी इसलिए मेरे दोनों पैर काटने पड़े पैसा इतना था नहीं जिससे कि मैं इलाज करा लेता यह बात सुनकर कि मुझे बड़ी दया आई और मैंने अपने थैले से वो चांदी के पत्ते निकालें जो वजन में लगभग 3 किलो के थे क्योंकि उस पेड़ पर बहुत मोटे मोटे पत्ते थे जिसका वजन शायद 50 ग्राम होगा 1 पत्ते का भजन मैंने उसको दिए तो देखा कि मेरे थैले में सब मट्टी थी चांदी के पत्ते नहीं मैं हैरान था यह सब क्या है तो लड़के का पिता बोला जो कि अपाहिज नीचे पड़ा हुआ था ।
बेटा जो तुम ढूंढ रहे हो ना वह मेरे पास है लो 
अपने थैले से निकाल कर उसने मुझे दो चांदी के पत्ते दिए में हैरान था मैंने कहा की अंकल जी ये आपके पास कहां से आया उसने बोला बेटा जो पेड़ तुम बाहर देख रहे थे ना वह देखो मेरे घर में पीछे लगे है 
दोस्तों जब देखा पागल सा हो गया समझ नहीं आ रहा था कि वो पेड़ इसके घर कैसे आ गए मैं वहां से भागा एकदम डर सा गया था जल्दी-जल्दी मैं बाहर निकला और साइकिल बैठकर सवार हो जल्दी भागने लगा साइकिल से पीछे देखा कि पीछे से एक छोटा बच्चा फिर थोड़ा मेरे पीछे चला रहा है मैंने साइकिल और तेज कर दी चलते चलते चलते महज में 2 किलोमीटर चल चुका था लेकिन बच्चा बराबर मेरे साथ दौड़ रहा है पीछे से
मैंने साइकिल और तेज करदी देखा तो वह बच्चा दोनों पेड़ अपने हाथ में लेकर आ रहा है और खुद दौड़ रहा है मैंने सोचा ऐसा कैसे हो सकता है मुश्किल से मैं अपने दोस्त के यहां पहुंचा जहां मुझे जाना था और जब उसके गांव पहुंचा तो पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था घर जाकर अपने दोस्त को मैने सारी दास्तान बताइए तो दोस्त बोला अरे दोस्त क्या हुआ क्या बात कर रहे हो जो पेड़ की अप बोल रहे हो वो हमारे घर में भी हे देखो मैने देखा तो उसके आंगन में भी दोनों पेड़ लगे हुए थे मैंने वहां से भी अपनी साइकिल उठाई मैं घबरा गया और भागने लगा दोस्त रुको जा कहां रहे हो कैसे आए थे 
ना चाय ना पानी और भागने लगे दोस्तों मैंने साइकिल वहां से तेज करी और वहां से भागा अपने घर के लिए दौड़ने लगा साइकिल से और अपने घर आया सारा हाल मैंने मम्मी को बताया मम्मी बोली अच्छा ऐसा हुआ मम्मी मुझसे कहती हैं कि बेटा मुझे लगता है शायद कोई भूत प्रेत का साया है जो तेरे साथ ऐसा हुआ अब मेरी एक बात सुन

✍️✍️ आलोक वैद "आजाद"

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