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आजकल रात भर

संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2024 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है. जो आप सभी पाठक गण को अवश्य पसंद आएगी. 1347 0 Hindi :: हिंदी

आजकल रात भर, नींद आती नहीं।
एक पल के लिए,  याद जाती नहीं।
जीना तेरे बिन, दुश्वार हो गया_
दूजा कोई भी, शक्ल भाती  नहीं।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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