Chanchal chauhan 08 Mar 2024 कविताएँ समाजिक इतिहास बदलती है वह धैर्य,त्याग,बलिदान की देवी है इसीलिये तो मनुस्मृति है कहती यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। 2982 0 Hindi :: हिंदी
नारी हूँ कोई कठपुतली नहीं जो रंगमंच पर खड़ी डोरी से बंधी आभूषणों से सजी लकड़ी से बनी जो दूसरों की मर्जी पर चली जो सजावट और मनोरंजन के लिये बनी सावधान हे नर ,पुरुष बदलो अपनी सोच विचार सहित मर्यादा में रहो और सभ्य बनो यहाँ सदियों से नारी ने राज्य किया सीता हो या राधा लक्ष्मी हो या स्वरूपा यहाँ इतिहास बदलती नारी है जो अभिमन्यु और लवकुश जैसे वीर धरा को देती है वह अपना इतिहास बदलती है वह धैर्य,त्याग,बलिदान की देवी है इसीलिये तो मनुस्मृति है कहती यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।