Km Shalini 29 Sep 2023 कविताएँ समाजिक #हार नही#कुछ तो करना #खुद से सशक्त 11388 0 Hindi :: हिंदी
कभी असफलताओं ने, घेरा मुझको, कभी अपनो ने, आहत किया। अथाह प्रयास, जो भी किए थे मैने, उनका कोई, परिणाम नहीं निकला। टूट गई, अंदर से मैं अब, बची नहीं , उम्मीद कहीं अब। जिन आंखों में, थे कभी सपने, उनमें रह गए, बस आंसू। फिर भी मैंने, हार न मानी, कुछ तो करने की, है ठानी।