Alok Vaid 22 Oct 2023 कविताएँ धार्मिक #कार्लमार्क्स #पेरेटो #बाबा साहब अम्बेडकर 7127 0 Hindi :: हिंदी
धर्म तो एक अफीम है राजे यहां तो रोज बजते है बाजे किससे बोलूं गिरी है ऐसी उपर मेरे दुख की गाँजे शुद्र बनाकर मुझको तुमने है रेला खेती खलियान गोबर में भी खेला इतना दर्द सहा है मैने ओ मेरे साहब बयान करना हाटों से रहा है गायब कैसे बयान करू उस दलदल को जिसमे पशु से नीचा समझा हमको जबरन काम लिया था हमसे भूल नहीं है सकते वर्ण वर्ण की बात करो तुम गीता के विरुद्ध हो चलते कर्म प्रधान बताया कृष्ण ने गीता में सबको कर्म से ब्राह्मण कर्म से छत्रिय कर्म से वैश्य और शूद्र फिर भी जन्म को लेके बैठे शर्म नहीं आती आपको शास्त्र विरुद्ध चलते है पोंगा धर्म के ठेकेदार समझे है सच क्या है गीता बता रही है फिर पाखंड मैं क्यू उलझे है कहै "आलोक" धर्म अफीम के ठेकेदारों से शिक्षित समाज हो चुका है अब तो भैया जोरों से सच क्या सभी जानते ये शिक्षा का प्रभाव है हम तो सबका सम्मान करते ये मेरा भाव है आलोक वैद M.A, LL.B
I have been interested in literature since childhood.I have M.A or LL.B Education qualification...