Nitesh Kumar Vishwakarma 15 May 2023 कविताएँ अन्य 9846 0 Hindi :: हिंदी
रोजगार अहंकार जब मन में हो विश्वास, तब सब देंगे तुम्हारा साथ। मैं बेरोजगार हूं तो क्या हुआ, लेकिन हूं अपने माता-पिता का खास। और मुझे पूरा है विश्वास, रोजगार मिलेगा यही कही आस पास। धीरे - धीरे से मेरी जिंदगी मे नौकरी आयी , मां लक्ष्मी आंगन में खुशियों के फूल लगायी। मैंने खुशियों के फूलों को मुरझाया, क्योंकि मेरे ह्रदय में पूर्ण अंहकार समाया। मेरा अंहकार ही मुझे डुबया, फिर प्रभु श्रीराम ने मेरे सपने में बताया, कि रावण को अंहकार ने हीं हराया। और मुझे मेरे संस्कार ने विजई बनाया। तब मुझे बात समझ में आई , मैंने वचन लेकर अपने ह्रदय में अंहकार की कर दी सफाई। नितेश कुमार विश्वकर्मा